दो राहा!

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ज़िन्दगी आज दो राहे पर है

कुछ पाने की चाहत भी है

तो कुछ खोने की आहत

एक तरफ है साथ सभी का

एक तरफ अकेलापन

साथ ज़रूरी है

मगर चलना हमे अकेले है

मंज़िल तक पोहोंचे तो हम

पर कुछ लड़-खड़ा कर

दिया फिर सहारा किसी ने

हमारे करीब आकर

नज़रे उठा कर हमने उन्हें देखा

समझ आया हमे कुछ असा

अकेले न थे हम कभी उस रस्ते पर

अपने थे हमारे साथ हर पल ||

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P.S: Hellow lovely readers, hope you guys like it!
Indians, are you guys less interactive on wattpad??
I know you are not, so speak up whatever you think, whatever comes to your mind...
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