एहसास

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बन कर हवा मैं , तेरे पहलू को छु लूँ
की बिखर जाऊँ तेरे आस पास यूँ
मेरे होने का एहसास तू पा ले
की बन कर घटा तेरे आँगन में बरसू
तू उन बूँदों को छु कर मुझे महसूस कर ले
या नदियां बन कर बहु मैं .....................
तू साहिल बन कर मेरे साथ चले ...........
या धड़कन बन कर तेरे दिल में धड़कुं
तू ! सांस बन कर मुझ को जी ले
या बन जाऊँ वो कलम मैं .................
जो तेरे जज़्बातों को कागज़ पे लिख दे ।

मनीषा

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