तुम जब अकेले में बैठो
तो मुझे सोचना
सोचना की कौन हूँ मैं
सोचना की क्या हूँ मैं !!एक बिन बरसी बदली हूँ
या एक सुखा सावन हूँ मैं
सोचना की अल्लहड़ बचपन हूँ मैं
या बारिश में बहती कागज़ की नाव हूँ मैं !!फिर धीरे से मुझ को बुला लेना
और कानों में तुम कहना
जो भी हो मेरी हो
देखना बिन बादल बरस जाउंगी मैं !!मनीषा
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अरमान-ए मुहब्बत
Randomतेरी आरज़ू तेरी ज़ुस्तज़ु ,है आशिकी मेरी मेरे रूबरू सिर्फ तू सिर्फ तू