भाभी:- तुझे कितनी बार मना की हूं कि .......रात में wattpad मत यूज़ किया कर।
"फालतू शौक़ पाल रखा है। नींद नही आती रात में तो सिलेबस की किताबें पढ़ा कर।"मै:- भाभी जी मै भी तो सोचा था, कि .......
अब कभी wattpad पर कहानियाँ नही लिखूंगा, सो कल मै अपनी सारी कहानियां(1-2 को छोड़)wattpad के साथ डिलीट कर दिया ।भाभी:-पर बेटे , क्यों डिलीट किया इसके यूज़ के बगैर तो तुझे नींद ही नही आती...??
"ओह्...... तभी तेरी आँखे लाल हो रखी हैं, मतलब रात भर सोया नहीं है क्या...??मैं:- बस , ऐसे ही भाभी जी......छोडो, क्या करना
उसके बाद बहुत दुःख भी हो रहा था। शायद इसी दुःख से पूरी रात करवट बदलता रहा नींद नही आयी।
"चल कोई नही फ्रेश हो कर नास्ता कर ले मै नास्ता लगाती हूं"... किचेन की ओर जाते हुए भाभी बोली।मै फ्रेश हो कर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया उधर गरमा-गर्म ब्रेकफास्ट हमारा पहले से ही इन्तजार कर रहा था । भाई जी घर पर नही थे, तो मैं भाभी और वीर (मेरा भतीजा) तीनो ब्रेकफास्ट किये ।
तभी ड्राइंगरूम से लैंडलाइन की तेज आवाज चारो तरफ गूँजने लगी।
ट्रिन ट्रिन........
ट्रिन ट्रिन.........
भाभी, भैया का फोन समझ तुरतं ही फोन पिक करने गयी।
मै और वीर दोनों ब्रेकफास्ट कर ड्राइंगरूम में टीवी देखने आये, तो भी भाभी फ़ोन पर ही बात कर रही थी। थोड़ी देर बाद जब फ़ोन कटा तो .......
"Is everything ok bhabhi"..... किसका फ़ोन था ............
(मै उनके मुरझाये चेहरे पर "परेशानी के बादल" को भांपते हुए शालीन स्वर में धीरे से भाभी से पूछा।)भाभी की आँखे भर आयीं और वह सिशकते हुए बोली...........
भाभी:- ब.... ब..... बेटा तुझे याद है .....
तुर्वी
जो पिछले साल मई में अपने घर पर आयी थी, जब वीर का बर्थडे था ।मैं:- हाँजी भाभीजी ,जानता हूँ तो मै ,.....
हुआ क्या तुर्वी को ??( वैसे कौन है ये तुर्वी ........ मै नहीं जानता था, .......फिर भी भाभी के इमोशन को देख, रोते चेहरे को देख थोड़ा मुस्कुराते हुए बोल दिया )
भाभी :- बेटे मुझे उससे मिलने जाना है , तू मुझे चंडीगढ़, अभिलाशा हॉस्पिटल में छोड़ दे। वह ही तो बची है मेरे बचपन की एक दोस्त! बाकी सबसे तो कॉन्टैक्ट ख़त्म हो चुका है।
मै:- पर , भाभी मै तो सौरभ और करन को अमृतसर ले जाने को राजी किया हूँ , होली के पहले अब आ पाउँगा या नही,.......और आज गुरु पूरब है,..... तो मत्था भी टेक आएंगे । अभी वो आते ही होंगे।
(मै गहरी सांस लेते हुए बोला)भाभी:- चल ,कोई ना..... तू जालन्धर बाईपास से मुझे बस पर बिठा दे ।
'इसके बाद भाभी सारी बातें भैया को फ़ोन पर बतायीं जो उनकी फ्रेंड के साथ हुआ था।'
" मै भाभी को बस पकड़ाने लाया तो पता चला कि चंडीगढ़ की बस निकल चुकी है , अगली बस 2 घंटे के बाद है।"
भाभी को जादा परेशान देख , मैं "करन" को कॉल कर मना किया, और हम byke से ही चंडीगढ़ निकल दिए करीब 1hr 45 min बाद हम हॉस्पिटल पंहुचे ।
तुर्वी जी बेहोश बेड पर पड़ी थी । हम बाहर आ गए , भाभी डॉक्टर और ऑन्टी (तुर्वी की माँ ) से क्या हुआ था ??
(भाभी शांति के साथ चेहरे पर शिकन लिए पूछा)जब तुर्वी को होश आया तो भाभी जी और तुर्वी में जो बात हुई , उससे और तुर्वी की प्रेमकथा से प्रेरित हो, मै यह कहानी "जूनून-ए-इश्क़" लिख रहा । इस उम्मीद के साथ कि आपको यह कहानी बहुत ही ज्यादा पसंद आएगी।
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Fanfiction#331 in fanfiction @13fab2017 Thanks @Anshita_Nair for the cover of story Hey guys read the love story of north central indian girl turvi u really enjoyed it जूनून-ए-इश्क़ अब सर से उतर जा........ ...