मॉम के हाथ में लिफाफा देकर,.....
अब मुझे डर भी लगने लगा कि.... आखिर मैं क्यों दे दी मॉम को लिफाफा, क्या रिएक्शन होगा लिफाफा देखने के बाद उनका ...?? यह बात सोच ही मेरी रूह कांप रही थी।
"क्यों कि मॉम हमेशा से ही बहुत ही स्ट्रिक्ट जो थी मुझे लेकर...!!"
मेरे हर गलती पर मुझे सजा दिया करती थी।
और मैं भी तो आदत से मजबूर थी, जो हर बार , ना चाहते हुए भी हमेशा गलती कर ही देती थी।
मॉम धीरे -धीरे लिफाफा खोल रही थी......और इधर..
मेरे दिल की धड़कन बढ़ रही थी।
मेरे चेहरे पर पसीने ने अपना घर बना लिया था।
मेरे पैर कपने लगे थे ।
ब्लड वेसल्स में ब्लड के तेज फ्लो से चेहरा लाल सा हो गया था।तभी मॉम बोली............
मॉम:- वाह बेटा.....!!
तू नाम करेगी, अपने डैड का और मेरा भी....!!
अब तो तू हमारी पहचान बनेगी।
अब तो लोग भी कहेंगे, कि.....ये देखो, तुर्वि के माँ-डैड जा रहे हैं।
जो काम तेरी माँ नही कर पायी, वह तू करने जा रही है , यह जान के बहुत ख़ुशी हुई ।
वैसे ये बता 15 को जा रही है क्या तू , मुम्बई...??
ऑडिशन के लिए ...??(एक क्षण के लिए मुझे कुछ समझ ही नही आ रहा था , कि मॉम मेरे सपोर्ट में बोल रही हैं ,या फिर मीठा-मीठा बोल कर सब जानने की कोशिश कर रही हैं ।)
मैं शांत थी मेरी हिम्मत नही हो पा रही थी कि मैं क्या बोलू...?? तभी मॉम ने अपने प्रश्न को पुनः दुहराया ....।
मॉम:- बेटा मैने तुमसे पूछा, कि तुम ऑडिसन के लिए ....??
मैं:- मॉम .....!!
मैं आपलोगो से अलग तो नही जा सकती ना।
जो आपको पसंद नही, उसे कैसे कर सकती हूं मैं......??
अगर आप और डैड मुझे जाने के लिए बोलेंगे तभी तो जाउंगी । ऐसे ही अपने मर्जी से थोडो ही चली जाउंगी ।
वैसे भी मैं मुम्बई अकेले थोडो ही जाउंगी आपको या पापा को या फिर आप दोनों के साथ जाउंगी।थोड़ी देर के लिए कमरे का पूरा माहौल बदल गया । और आज यह शुक्ति गलत साबित होने लगा ....."दो लेडीज एक कमरे में बंद हैं फिर भी शांत हैं।"
अब तो मुझे थोड़ा -थोड़ा लगने लगा, कि..,.....
ये शायद "तूफ़ान आने के पहले की शांति है ।" मैं पूरी तरह से कापने लगी .....। फिर थोड़ा सा हिम्मत जुटा कर उस शांति को तोड़ मॉम से पूछी......??मैं:- मॉम क्या मुझसे कोई गलती हो गयी क्या ....??
देखो मॉम जो हो गया, उसे तो मैं बदल नही सकती, पर हाँ..!!
अगर आप लोगों को नही पसंद, कि मैं मुम्बई जाके ऑडिशन में पार्टिसिपेट करूँ तो मैं नही जाउंगी।"यह बोल मैं शांत हो गयी तभी मॉम दर्द भरे शब्दो में मुझसे बोली......"
मॉम:- देख तुर्वि...!!
तुम्हारे डैड को कभी पसंद नही आएगा, कि तू मुम्बई ऑडिशन के लिए जाए ।
उनको अगर ये बात पता चली, तो बहुत दुःख होगा। अच्छा यही होगा,कि ये बात हम दोनों के बीच ही रहे। और तू भी भूल जा, कि तुझे बॉम्बे जाना है।
प्लीज बेटा..!! मेरे लिए अपने पापा के लिए,
तुझे तो पता है ना, कि तेरे पापा को.......
ये सब नही पसंद, वह हमेशा से यही चाहे हैं, कि जिस तरह से उनका पूरा खानदान देश की सेवा किया है। उसी तरह तू भी देश की सेवा करे।मॉम की बातें सुनकर, मेरा डर उड़नछू हो गया । मुझे ऐसा लग रहा था, कि मेरे शरीर में ATP का विस्फोट हो गया हो और मै पूरी तरह ऊर्जावान हो गयी थी।
आज पहली बार मेरी मॉम ने , मुझे कुछ इतने शांति और प्यार से समझाया था ,अतः उनपर बहुत प्यार भी आ रहा था । मेरा मन कर रहा था , कि मैं उन्हें कस के अपनी बाहों में लेकर जी भर के रों लू पर ऐसा ना हो सका ।
क्योंकि तभी लैंडलाइन की तेज आवाज गूंजने लगी .....ट्रिन ट्रिन........
"मॉम ने फ़ोन रेसिव किया, पापा ने कैम्प से फ़ोन किया था और हमें कैम्प आने को तुरंत ही बुलाया था । क्योंकि आज मेहरा अंकल के लड़के की रिंग सेरेमनी जो थी।"
मैं और मॉम जल्द ही तैयार हो के कैंप के लिए रवाना हो गए । रास्ते में हमें याद आया, क़ि हम तो लिफाफा ऐसे ही रूम में छोड़ कर आ गए हैं। ये सोच, कि चलो कोई नही..!!
घर तो लॉक ही है , और हम ही पहले आयेंगे घर ,और उस समय डिस्ट्रॉय कर देंगे लिफाफा।
Kya ab turvi ki life smooth ho jayegi yaa abhi kuchh aur hai jiska samna karna hai use...??
Kya hota hai camp me ??Janenge next part me junoon-e-isq k sath.
Thanks
Prasahni.
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#junoon-e-isq#
Fanfic#331 in fanfiction @13fab2017 Thanks @Anshita_Nair for the cover of story Hey guys read the love story of north central indian girl turvi u really enjoyed it जूनून-ए-इश्क़ अब सर से उतर जा........ ...