देखती थी मुझको और नज़रें चुरा भी लिया करती थी
शायद पागल थी वो
जो एकतरफा मोहब्बत को भी निभा लिया करती थीमेरी गलतियों पर खुद का आँचल डाल कर अक्सर
मुझे बचा लिया करती थी
शायद पागल थी वो
जो मेरी यादों मे अपनी रातें बिता लिया करती थीमेरी मौजूदगी को अपनी आँखों की चमक से झलका लिया करती थी
शायद पागल थी वो
जो मेरी बातों को भी अपनी यादें बना लिया करती थीमुझे चाहती थी वो ये जानता था मैं
पर वो अपनी चाहत को अपनी मजबूरियों मे दबा लिया करती थी
शायद पागल थी वो
जो अपने पिता की इज़्ज़त को हमेशा बचा लिए करती थी
शायद पागल थी वो...........
शायद पागल थी वो...........
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ख्वाबों का काफिला
PoetryA journey that cover life of a man with all emotion covered with shayaris , gajals, and thought . A book that covers all emotions .....