मेरी रातों का सफर कुछ इस तरह से
गुमनाम हो चला
मुझसे मेरा ही पता पूछ सारा शहर
श्मशान हो चला
मेरे रिश्तों का काफिला इस कदर
मुझसे ही हैरान हो चला
मेरी रातों का सफर इस तरह से
गुमनाम हो चलादूर किसी किनारे की तलाश में
बैठ समन्दर पर मैं उस लहर
का मुकाम हो चला
हैसियत पूछी किसी ने मेरी
तो हर शख्स का मैं
मेहमान हो चला
मेरी रातों का सफर कुछ इस तरह
से गुमनाम हो चलाहरदम तलाशता जिस हिज़्र को मैं
रहा
आज वो मेरी गिलास का ही
जाम हो चला
ऐसे देखा मेरे रुहे-हिसाब ने
मैं खाली बाजार में भी
नीलाम हो चला
मेरी रातों का सफर कुछ इस तरह
से गुमनाम हो चलाथक कर दूर जा जब गिरने लगा
तो मेरे मेहबूब का आंचल
मेरा नाकाब हो चला
नब्ज़ रुकी सांस थमी आँख हुई बन्द जब
मेरी आखिरी
उनकी दर का दिया मेरी आखिरी शाम हो चलामेरी रातों का सफर कुछ इस तरह
से गुमनाम हो चला
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ख्वाबों का काफिला
PoesíaA journey that cover life of a man with all emotion covered with shayaris , gajals, and thought . A book that covers all emotions .....