इतने सालों का रिश्ता अधूरा छोड़ देना
आसान है क्या
एक मासूम से दिल को पत्थर की तरह तोड़ देना
आसान है क्या
तुम तो मेरे साथ चलती थी हर कदम
तुम तो मेरे साथ चलती थी हर कदम
यूँ अचानक से रास्ते का रुख़ मोड़ देना
आसान है क्या।।याद करो जरा जो वादे किए थे तुमने
जो कसमे साथ खाई थी
जो संग जीने के सपने सजाये थे
उन सपनों को बेरंग छोड़ देना
आसान है क्या।।माना तुम पर मजबूरियों का भार है
माना तुम पर मजबूरियों का भार है
लेकिन एक कश्ती को बिना पतवार यूँ
मझधार में छोड़ देना
आसान है क्या।।।सिलसिला था शुरू होकर खत्म हो गया
सिलसिला था शुरू होकर खत्म हो गया
पर बेवजह मुझे अपने दिल का मेहमान कर देना
आसान है क्या।।चलो भूल गया मैं तुम्हे तुम मुझे
चलो भूल गया मैं तुम्हे तुम मुझे
पर ये तो बताओ
एक लाश को बिना जलाए छोड़ देना
आसान है क्या।।।।।
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ख्वाबों का काफिला
PoetryA journey that cover life of a man with all emotion covered with shayaris , gajals, and thought . A book that covers all emotions .....