पटाखों से दुरी बना लो
जहरीले धुएं से पर्यावरण को बचा लोलाइटों को नहीं मिट्टी के दिपक जलाओ
सही मायनों में दिवाली मनाओप्लास्टिक बैग को त्यागो
जूट कपडे का बैग अपनाओ
धरती,गाय माता सबको बचाओ ।पर्यावरण संरक्षण में छोटा सा योगदान हो
प्रदूषण रहित दिपावली हो ।दिपावली की रात को सिर्फ दिपक से सजाओ,
किसी के घर में खुशियों का दिपक जलाओ।अपनी दिपावली को और happy बनाओ
गरीबों को भी मिठाई दे आओ।Happy dipawali my all friends
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प्रकृति
Poetryप्रकृति से बडा निस्वार्थी नहीं कोई, प्रकृति से बडा शिक्षक नहीं कोई, हर पल सीखाती है प्रकृति। असम्भव को सम्भव बनाती है प्रकृति।। प्रिय मित्रों यह कविता मैंने प्रकृति पर लिखी। प्रकृति अनमोल है इसे बचना, कविता पढके, राय जरूर बताना।