मैं अनमोल हूं
ना बहाओ बेकार मुझे
मैं सीमित हूं
ना समझआे असीमित भण्डार मुझे।बारिश में अमृत हूं
मत जाने दो नालो में मुझे।
रख रखाव रखो तालाबों का
यहीं काम आयेंगे जरूरत के समय।आज जो नहीं सहेजा तो
कल तरस जाओगे मुझे।लीला चौधरी
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प्रकृति
Poetryप्रकृति से बडा निस्वार्थी नहीं कोई, प्रकृति से बडा शिक्षक नहीं कोई, हर पल सीखाती है प्रकृति। असम्भव को सम्भव बनाती है प्रकृति।। प्रिय मित्रों यह कविता मैंने प्रकृति पर लिखी। प्रकृति अनमोल है इसे बचना, कविता पढके, राय जरूर बताना।