ऐ इंसान तु पर्यावरण क्यू नहीं बचाता है।
तुझे चलना हो कुछ दुरी तु वाहन ले जाता, क्या कुछ भी तु पैदल नहीं चल सकता है।
ऐ इंसान तु पर्यावरण क्यू नहीं बचाता है। ।तु जाता है बजारो में प्लास्टिक ले आता है,क्या एक कपड़े का थैला भी तुझसे नहीं संभलता है।
ऐ इंसान तु पर्यावरण क्यू नहीं बचाता है। ।दिवाली तो रोशन दीपो से होती हैं,फिर तु क्यू पटाको से पर्यावरण जलाता है।
ऐ इंसान तु पर्यावरण क्यू नहीं बचातादो पेड़ तो तु खुद ही नष्ट कर जाता है, फिर एक पेड़ भी तु क्यू नहीं लगाता है।
ऐ इंसान तु पर्यावरण क्यू नहीं बचाता है। ।तु अपने घर में तो यूँ कचरा नहीं फैलता है,क्या इस देश को तु अपना घर नहीं समझता है।
ऐ इंसान तु पर्यावरण क्यू नहीं बचाता है।जल तो हर पल अनमोल होता है, फिर क्यू इसे तु यूहीं व्यर्थ बाहता है।
ऐ इंसान तु पर्यावरण क्यू नहीं बचाता है। ।Leela Choudhary
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प्रकृति
Poetryप्रकृति से बडा निस्वार्थी नहीं कोई, प्रकृति से बडा शिक्षक नहीं कोई, हर पल सीखाती है प्रकृति। असम्भव को सम्भव बनाती है प्रकृति।। प्रिय मित्रों यह कविता मैंने प्रकृति पर लिखी। प्रकृति अनमोल है इसे बचना, कविता पढके, राय जरूर बताना।