माँ

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चाहे लाद ले कितनी भी
तन पर रेशमी दूशाले,
पर कहीं मिलती नहीं माँ
तेरे गोद की गर्माहट।

भरे से घर में
तेरी चूड़ियों की खनखनाहट,
याद है आज भी
बाबा की डाँट और
माँ तेरी बाहों की नरमाहट।

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