चल पड़े हैं सब आसमान छूने को,
ज़मीन पर क़दम रखना ही भूल गए।
बड़े होने की जल्दी में,
हम बचपन ही जीना भूल गए।
याद रखते थे तब हर छोटी-बड़ी बात,
अब मतलब के सिवा सब याद रखना ही भूल गए।
बड़े होने की जल्दी में,
हम बचपन ही जीना भूल गए।गिनने में लगे हैं सब नोटों को,
गँवा दिए कितने क़ीमती पल,
ये गिनना ही भूल गए।
बड़े होने की जल्दी में,
हम बचपन ही जीना भूल गए।क्या नहीं हासिल कर पाए, यही सोचते रहे हरदम।
मिला है कितना कुछ, ये जोड़ना ही भूल गए।
बड़े होने की जल्दी में,
हम बचपन ही जीना भूल गए।ज़िंदा तो कब से हैं, बस ज़िंदगी जीना भूल गए।
मुस्कुरा लेते हैं अकसर, पर खुलकर हँसना भूल गए।
बड़े होने की जल्दी में, हम बचपन ही जीना भूल गए।
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MERAKI
Poesieमेरे द्वारा रचित हिंदी कविताओं और उद्धरणों का संग्रह। मुझे आशा है आप इन्हें पढ़ने का आनंद लेंगे। A collection of my self-written Hindi poems and quotes. I hope you enjoy reading them.