कहते हैं लोग कि
खामोशी से भरा हूँ मैं,
क्या बताऊँ उन्हें
किस दौर से गुज़र रहा हूँ मैं ।न समय का पता चलता है
न हालातों का,
बस यूँ ही अकेलेपन का
खा रहा जहर हूँ मैं ।दिखता हूँ परेशान सा
उलझा हूँ बीते कल में,
न आज का होश है न कल का
बस तेरी यादों के कहर से गुज़र रहा हूँ मैं ।अरे न जाने तूने कैसा जादू किया
भुलाने से भी न भुला पाऊं तुझे,
गलती जो आज तक किया
बस उन्हें सुधारते तय कर रहा सफर हूँ मैं ।न जाने क्या हो गया
कुछ ही पल तो हुए थे अलग हुए,
मैं थोड़ा यादों में क्या खोया कि
अब तेरे नए इश्क़ के पढ़ रहा खबर हूँ मैं ।समझ नही पा रहा कि
बीते कल से इश्क़ करूँ या आज से नफरत,
बस यही सोचते सोचते
खुद की कर रहा कदर हूँ मैं ।कहते हैं लोग कि
खामोशी से भरा हुँ मैं,
क्या बताऊँ उन्हें
किस दौर से गुज़र रहा हूँ मैं ।- Ankit Jaiswal
================================
YOU ARE READING
From Pen To Paper
PoetryFeeling : a word with tons of emotion... Just poured those feelings from heart to paper through ink of pen.... In this you will find all types of poems and I hope you will enjoy it.... So what are you waiting for... Just have a bucket of popcorn and...