हमारे इधर मतलब प्रोडक्शन से आईआईटी वाला बंदा जॉब छोड़ कर जा चुका था। क्योंकि प्लांट अब चल चुका था। प्लांट मै पहले उसकी इज्जत एमडी के बाद दूसरे नंबर पर होती थी। पर अब उसको कोई पूछता नहीं था।इसलिए उसने दूसरी जॉब धुंड ली। अब मेरे साथ जिसका अपॉइंटमेंट हुआ था वो भी आगे पढ़ाई करनी है बोल कर रिजाइन दे चुका था। अब प्रोडक्शन मै D,P अग्रवाल जी ने ज्वाइन किया वो भी जिंदल पोलिस्टर से आए थे। जब तक जिंदल चली उनकी उधर बहुत रेपुटेशन थी। सुरु मै वो मेरे ही रूम में रुके। बाद मै उन्होंने दूसरा रूम ढूंढ लिया था। अब चूंकि वो पोलिस्टर से आए थे तो उनको pp की बहुत knowledge नहीं थी। बट ओवरऑल वेहवर ओर बेहवियर के बहुत अच्छे थे। मतलब है। अब हम दोनों की 12 - 12 घंटे ड्यूटी सुरु हो गई थी। अब चुकी एक ही रूम से आते थे ओर अंडरस्टैंडिंग अच्छी थी। सब कुछ बढ़िया चल रहा था। हम प्लांट से एकत्र हो कर उनकी शादी मै भी गए थे। उनकी शादी मथुरा से हुई थी। तब मै पहली बार मथुरा गया था। लेकिन रात को ही वापस आना था इसलिए घूमना नहीं हो सका। अब न्यू ईयर आया। मेरे दोस्त गाजियाबाद शिफ्ट हो चुके थे तो वो मुझको एक दिन पहले बोले के भाई कल अपनी शिफ्ट एडजेस्ट कर लेना। हम तुझको तेरे प्लांट से ले लेंगे और फिर कल न्यू ईयर गाजियाबाद में मनाएंगे। मैंने डीपी अग्रवाल जी से बात करी। मैं उनको सर जी कहकर बुलाया करता था। मैं बोला सर जी कल मैं दिन की शिफ्ट कर लूंगा आप रात की शिफ्ट कर लेना। मै 24 घंटे ड्यूटी कर लूंगा । अब क्योंकि उनकी दिन की शिफ्ट चल रही थी वह बोले कि भाई मुझको भी तो न्यू ईयर बनाना है तू रात को आना मैं दिन में आऊंगा। मैं बोला कि मुझको गाजियाबाद जाना है मेरे दोस्त मुझको बुला रहे हैं, इसलिए आप कर लो रात की शिफ्ट। अब बहुत देर तक बहस होती रही। तो मै बोला कि अगर आपने रात कि शिफ्ट नहीं करी तो मैं रात को नहीं आऊंगा आपको 24 घंटे करनी पड़ेगी। मैं तो कल गाजियाबाद जरूर जाऊंगा। तो वह बोले कि ठीक है तू 24 घंटे कर लेना फिर मैं रात को आ जाऊंगा। मैं अपना न्यू ईयर अगले दिन बना लूंगा। मैं बहुत खुश हुआ, मैंने सोचा ब्लैकमेल करना बहुत बढ़िया रहा। मैं अपने आप को स्मार्ट समझ रहा था और रात भर खुश रहा। मैंने अपने दोस्तों को इन्फॉर्म कर दिया कि तुम शाम को आ जाना और मुझको ले जाना।क्योंकि उनको कंपनी से गाड़ी मिली हुई थी वह उनको रोजाना गाजियाबाद लेकर जाया करती थी। अब मैंने शाम को 10:00 बजे अपना सारा काम निपटाया और मैं उनका वेट करने लगा। तब तक मेरा फ्रेंड भी आ गया,मुझको बहुत तेज नींद आ रही थी क्योंकि मैं अपनी शिफ्ट में कभी सोता नहीं था। अब 10:00 बजे तक बहुत बुरी हालत हो गई थी, ड्यूटी करते हुए 24 घंटे हो चुके थे। मैंने सोचा कोई बात नहीं दोस्त की गाड़ी में सो जाऊंगा। अब साली ऐसी गांड लगी कि वो रात में नहीं आए। मुझको पूरे 36 घंटे ड्यूटी करनी पड़ी। दोस्त अलग नाराज हो रहा था उसको भी 11:00 बजे गए थे। जब वह सुबह आए तो मैं उन पर बहुत नाराज हुआ। वह बोले भाई मैं क्या करूं मैंने रात को इतनी दारु पी ली मुझे पता ही नहीं चला कि रात को ड्यूटी भी जाना है। अब मैं तो सोच रहा था कि मैं उनका बेवकूफ बना रहा हूं। ये धमकी दे कर की आपको 24 घंटे करनी पड़ेगी। उल्टा मैं ही बेवकूफ बन गया। साला मुझको पूरी 36 घंटे ड्यूटी करनी पड़ी। इसलिए प्रोडक्शन की नौकरी में कभी भी अपने आपको कुछ ज्यादा ही स्मार्ट नहीं समझना चाहिए। बस मौका मिलते ही चौका मार देना चाहिए। हम लोग 12 घंटे की ड्यूटी 10:00 से 10:00 किया करते थे। और ऑफ वाले दिन हमारे बॉस दिन में देख लिया करते थे रात में दूसरा बंदा थोड़ा जल्दी आ जाता था। मैंने तो दारू की बोतल खरीद के रखी हुई थी मैंने सोचा चलो कोई बात नहीं फिर कभी गाजियाबाद जाऊंगा तब दोस्तो के साथ ही पी लूंगा। फिर मौका लगा और मैं उस बोतल को लेकर अपने दोस्त के साथ गाड़ी में गाजियाबाद के लिए निकल गया। उस दिन कुछ ज्यादा ही धुंध थी। पुलिस का नाका पार करने के बाद पीछे से एक ट्रक आ रहा था। अब या तो पुलिस वालों के चक्कर में या फिर धुंध कारण उसने अपने ट्रक से हमारी गाड़ी पीछे से ठोक दी। हमारी गाड़ी बैंड हो गई। लेकिन भगवान का शुक्र था ड्राइवर को हल्की सी चोट आई और मेरे दोस्त का एक दांत टूट गया था। लेकिन गजब यह हुआ मुझको एक खरोच भी नहीं आई। और एक्चुअली यह इतनी जल्दी हुआ मुझे तो पता भी नहीं चला कि क्या हुआ। खैर हम गाड़ी से बाहर निकले पीछे का शीशा टूटा हुआ था। अब साला हमारी गाड़ी में बोतल थी तो मेरा दोस्त डर गया वह बोला साला अगर चेकिंग हुई तो गाड़ी में से बोतल निकलेगी तो लफड़ा हो जाएगा।पुलिस वाले बोलेंगे सालों तुम दूध दारु पी के गाड़ी चला रहे थे। इसलिए मैंने गाड़ी में से बोतल ढूंढ कर उसको सड़क के किनारे झाड़ियों में फेंक दिया। ओर तब तक पुलिस आ गई पुलिस उस ट्रक के पीछे लगी थी और उन्होंने हमको रात को एक ट्रक में बिठाकर आगे तक छुड़वा दिया। अब साला वह बोतल मेरे भाग्य में नहीं लिखी थी साला ना तो नए साल में पी पाया ना साली को मैं बाद में पी पाया। खैर दोस्त को तो मालूम ही था वह बोतल झाड़ियों में कहां पर फेकी है एक दिन उसको मौका लगा तो वह बोतल उठाकर गाजियाबाद ले गया। लेकिन साली वह बोतल ही मनहूस थी मेरे दोस्तो ने दारु पी और साली मोटरसाइकिल अपने घर के गेट में ठोक दी क्योंकि मेरे दोस्त को दारू पीकर मोटरसाइकिल भगाने में बहुत मजा आता था। ओर मोटरसाइकिल की हेडलाइट टूट गई। वह बोतल मेरे दोस्त को भी बहुत महंगी पड़ी।
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कारखाना 24
Mystery / Thrillerये कहानी है, 24 घंटे चलने वाले कारखानों के स्टाफ और वर्कर्स की पॉल्टिक्स की