लम्हे (हिन्दी कविता संग्रह)
बीते दिनों के कुछ लम्हे, मैं भी आज चुरा लूँ क्या? थोड़ी सी हिम्मत कर, मैं भी आज मुस्कुरा लूँ क्या? लम्हे... कुछ खट्टी-मीठी यादों के, कुछ अनकही बातों के। आज ज़िंदगी की इस उधेड़बुन में, जहाँ हर कोई बस अपनी ही धुन में मग्न होता जा रहा है, यह लम्हे ही तो हैं जिन्हें दोबारा जीने की लालसा हमें एक दूसरे से बाँधे हुए है। चाहे...