Raksha bandhan

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ए रेशम की डोर बाँधकर भैया आज सारा जहाँ मांगना चाहतीं हूँ ।
मैं एक बार फिर आपके साथ अपना बचपन जीना चाहती हूँ ।

गुडडे गुड़ियो के साथ खेलना,
चाचा चौधरी व लोट पोट को छुपा छुपा कर पढना,
दाँतों से नाखून काटते हुए  कटी पतंगो  को ढूंढना चाहती हूँ ।
मैं एक बार फिर से आपके साथ किॅकेट खेलना चाहती हूँ ।
मैं एक बार फिर से आप के साथ बचपन जीना चाहती हूँ

पाठशाला जाने के बहाने  रास्तो पर भटकना
पढ़ाई के नाम पर सहेलियों के साथ घूमना
बातों ही बातों में आपसे पैसे ऐठ लेना
एक बार फिर से वो खट्टी मीठी गलतीयो को दोहराना चाहतीहूँ ।
मैं एक बार फिर से आप के साथ बचपन जीना चाहती हूँ ।

वो अल्हड़पन, वो लडकपन,
फुर्सत के दिन, ना डर ना फिक्र
वो सुबह देर  छत पर पड़े रहना,
एक बार फिर से  केरम की गोलियों
को चुरा कर
खिल खिलाकर हँसना चाहती हूँ
एक बार फिर से आपकी ऊँगली पकड़ कर चलना चाहती हूँ ।

इस बरस राखी पर
नहीं चाहिए कोई नकद
नहीं चाहिए कोई गहना
सिर पर रखकर हाथ
लौटा दो मेरा बचपना
एक बार फिर से छोटी छोटी खुशीयो को  भरपूर जीना चाहती हूँ
मैं आपसे सारा जहाँ मांगना चाहतीं हूँ।
मैं एक बार फिर से आप के साथ बचपन जीना चाहती हूँ ।

जय जिनेन्द्र
निशा तातेड

Jai jinendra

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