चैप्टर ८

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न्यूज रिपोर्टर की वो बातें सुनकर दोनों, माया और दीप्ती अचरज में पड़ जाती हैं। माया इन सब चीजों के बारे में सोचना नही चाहती थी पर अब सभी चीजें सरेआम हो गईं थीं।

माया- दीप्ती यार! ये सब चल क्या रहा है?

दीप्ती- जरूर इस शहर और इसके लोगों का कुछ तो सीक्रेट है। हो सकता है, हमारे ही आस-पास के लोगों में से कोई भी एक वृक, पिशाच या डाकवंश का हो।

माया- लगता तो मुझे भी यही है, और मेरा पूरा शक विक्रांत, दंश और अनामिका पर ही है। एक साथ तो कुछ पता नही लगेगा। सब चीज़ें अलग-अलग ही पता लगानी होंगी।

दीप्ती- हां यार।

माया और दीप्ती ये बातें कर ही रहे थे कि तभी वहां पर अनिका आ जाती है। माया उसको देखकर उससे पूछती है।

माया- अरे अनिका, यहां कैसे?

अनिका- क्यों बहन के पास नही आ सकती क्या मैं? और वैसे भी मुझे मेरा ब्रेसलेट वापस चहिए।

माया और दीप्ती, ये सुनकर थोड़ा परेशान हो जाते हैं। माया न चाहते हुए भी अनिका को उसका ब्रेसलेट लौटा देती है। जाने से पहले माया अनिका से उस ब्रेसलेट को जान से भी ज्यादा सेफ रखने का वादा लेती है।

माया की ऐसी बातें सुनकर अनिका को थोड़ा शक हो जाता है लेकिन वो अपना ब्रेसलेट लेकर वहां से चली जाती है। जैसे ही अनिका ऊपर जाने के लिए सीढ़ियों पर एक कदम रखती है, वैसे ही माया और दीप्ती को उसके गिरने की आवाज आती है। माया और दीप्ती पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें जमीन पर अनिका बेहोश पड़ी मिलती है।

माया जाकर वसुधा और दुष्यंत को बुला लाती है। अनिका को देखने डॉक्टर आते हैं। वो बताते हैं कि अनिका को कमज़ोरी है और किसी सदमे की वजह से ही उसकी ये हालत है। अनिका को वो बिस्तर पर ही आराम करने की सलाह देते हैं और वहां से चले जाते हैं। अनिका अभी भी बेहोश थी।

सब यही सोच रहे थे कि अनिका को ऐसा क्या सदमा लगा था? जिसके कारण उसकी ये हालत हुई थी। अनिका उस दिन ऐसे ही कभी जागती कभी फिर से बेहोश हो जाती। सब उसकी हालत को लेकर परेशान थे। सब अनिका को आराम करता छोड़ कर अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं।

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