चैप्टर १०

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'राजकुमारी ५४' क्या हैं ये शब्द? माया जब अगली सुबह उठी तो बस यही सोच रही थी। उधर दित्या भी असमंजस में थी। वो सोच रही थी की कैसे उस नाम के बारे में पता लगाए? दोनों को एक ही चीज़ जाननी थी लेकिन दोनों में से किसी को भी नहीं पता था कि ये रहस्य उन्हें किस ओर ले जाने वाला था।

माया उठकर तैयार होती है और अनिका के कमरे में चली जाती है। अनिका का बिहेवियर अब शांत हो गया था। वो उठकर माया से मिलती है और उससे कहती है।

अनिका- तो बहन का आज कैसे आना हुआ यहां?

माया और अनिका का रिलेशन, वो अनामिका वाली बात के बाद, बहुत सुधर चुका था। दोनों ने एक दूसरे से वादा किया था कि वो एक दूसरे से कुछ नहीं छिपाएंगे।

माया, अनिका का हाथ पकड़ती है और उसे बैठा देती है। फिर, बीते दिनों में जो कुछ भी हुआ, उस बारे में उसे सब बता देती है। पेंटाग्राम वाली बात तो माया ने उसे पहले ही बता दी थी। अब माया उसे विक्रांत और अनामिका का भी पूरी सच्चाई बता देती है। जब से डलहौजी आना हुआ था, माया को तबसे ही काफ़ी अजीब सपने भी आ रहे थे, उनके बारे में भी वो अनिका को बता देती है। इस सब ने थोड़ी ज्यादा टेंशन कर दी थी तब, अनिका मूड हल्का करने के लिए तब कहती है।

अनिका- वाह! ब्रो तेरी लाइफ तो एक दम फैंटेसी नोवेल की तरह कुछ ज्यादा ही इंटरेस्टिंग हो गई है। यहां तो हिंदी फिल्म से भी ज्यादा ट्विस्ट हैं।

ये कहकर अनिका थोड़ा हंसती है। लेकिन माया कुछ ज्यादा ही सीरियस थी। अनिका उसका मूंह देखकर थोड़ा घबरा जाती है। वो उसे थोड़ा समझती है फिर उससे कहती है।

अनिका- असलियत कुछ ज्यादा ही उलझी हुई है। मुझे भी कुछ खास समझ नहीं आ रहा लेकिन मैं कुछ सोचती हूं। ये 'राजकुमारी ५४' है क्या? ये तो पता लगाना पड़ेगा। पर उससे पहले ये पेंटाग्रम का क्या चक्कर है वो पता लगाना होगा। हमारी फैमिली का इस सब से क्या लेना देना है? तीन हिस्से तो यहीं हैं। बाकी दो कहां से मिलेंगे।

माया- हां कह तो सही रही है तू। लेकिन ये अनामिका का क्या करना है। ये बात तो साफ़ है कि वो एक डाकिनी है। इसका मतलब उसे काफ़ी कुछ पता होगा इस सब के बारे में। बाकी विक्रांत और विशाल पर भी ध्यान देना होगा।

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