चैप्टर ११

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माया को उस बर्थडे पार्टी में अब जो पता लगने वाला था वो एक नए घटनाक्रम को जन्म देने वाला था। माया जब उस औरत का चेहरा देखती है तो वो अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पाती।

वो औरत जिसने वो अंगूठी पहनी थी और कोई नहीं दंश की मां अमृता थी। अनामिका को देखकर अमृता पूंछती है।

अमृता- क्या हुआ बेटा? कुछ चाहिए तुम्हें?

इससे पहले अनामिका कुछ कह पाती माया वहां आ जाती है और कहती है।

माया- अरे! कुछ नहीं आंटी। ये बस टॉयलेट ढूंढ रही थी।

अनामिका ये सुनकर माया को ऐसे देख रही थी मानों उसे कच्चा चबा जायेगी। ये सुनकर अमृता, माया और अनामिका को टॉयलेट का रास्ता दिखाती है। माया और अनामिका उस ओर चल पड़ते है। माया जैसे ही टॉयलेट के पास पहुंचती है, वो चारों ओर देखने लगती है। वहां उसे कोई नहीं दिखता। माया अपनी जेब से एक पोटली निकालती है। उसमें जो भी था वो अनामिका के ऊपर छिड़क देती है। उस समय अनामिका एक दम ठीक थी।

दोनों माया और अनामिका टॉयलेट में जाते हैं। जैसे ही वो दोनों टॉयलेट में घुसते हैं, अनामिका को चक्कर आने लगता है। माया के देखते ही देखते अनामिका बेहोश हो जाती है।

उतने में नकुल और उत्कर्ष वहां आ जाते हैं। उत्कर्ष उसे बेहोश देखकर माया से कहता है।

उत्कर्ष- तो प्लान काम कर गया?

नकुल- हां... कर तो गया है पर आगे क्या करना है?

माया- मेरे घर तो ले जा नहीं सकते। तुम दोनों में से किसी के यहां ऐसी जगह है जहां पर कोई आता जाता ना हो?

नकुल और उत्कर्ष दोनों सोचने लगते हैं। पर किसी के दिमाग में कुछ नहीं आता। फिर नकुल को याद आता है कि उसके घर के पीछे वाले प्लॉट में जो की एक जंगल के अंदर था। वहां पर एक जगह थी जो की अंडर ग्राउंड थी और कोई उस तरफ आता जाता नहीं था।

माया- हां... ये ही ठीक रहेगा। हमें ये ही करना पड़ेगा। इससे जानकारी पाने के लिए। तभी हमें सारी चीज़े पता लगेंगी।

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