पलट कर तो देखो ..... 🍂

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मेरी आँखों की चमक में
अकेली रात की कहानी है
मेरी खुशनुमा पलकों में
छुपी नमी को तो देखो

मेरे हसते मज़ाक में
कुछ दबी बात भी है
मेरे मुस्कुराते लबों के
झुकी किनारों को तो देखो

हिम्मत बिना डरे नहीं आती
खौफ छुपा आज भी है
मेरे शांत धड़कनों पे
बढ़ाते भार को तो देखो

मेरे चहरे पे खिली लालिमा
सारी रात की गाथा है
मेरे खिलखिलाते गालों पे
सुखे आंसुओं को तो देखो

कुछ बदला नहीं
सब वैसा ही है
मैं भी वही हुँ
और जज्बात भी वही है
ज़रा एक बार, बस एक बार
मुझे पलट कर तो देखो

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