मेरी आँखों की चमक में
अकेली रात की कहानी है
मेरी खुशनुमा पलकों में
छुपी नमी को तो देखोमेरे हसते मज़ाक में
कुछ दबी बात भी है
मेरे मुस्कुराते लबों के
झुकी किनारों को तो देखोहिम्मत बिना डरे नहीं आती
खौफ छुपा आज भी है
मेरे शांत धड़कनों पे
बढ़ाते भार को तो देखोमेरे चहरे पे खिली लालिमा
सारी रात की गाथा है
मेरे खिलखिलाते गालों पे
सुखे आंसुओं को तो देखोकुछ बदला नहीं
सब वैसा ही है
मैं भी वही हुँ
और जज्बात भी वही है
ज़रा एक बार, बस एक बार
मुझे पलट कर तो देखो
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Beheke Alfaaz
PoetryYe Alfaaz wo nhi jo sirf Zubaan se nikalte ho Ye wo Alfaaz hai jo dil ko chhu jaaye.