एक मसला है मेरा,
ज़रा सुनते जाना।
कुछ शिकवा है तुमसे,
जरा सुनते जाना।कुछ़ नया नहीं,
बात मज़हब कि है,
हो तुम्हारा या मेरा
बाद एक ही है।हम एक के होकर भी
आपस में अलग हैं।
वो अलग होकर भी
बस एक ही है।जब वो एक है
तो हम अलग कैसे ?
युं एक से होकर भी
हम अलग कैसे?
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Beheke Alfaaz
PoesiaYe Alfaaz wo nhi jo sirf Zubaan se nikalte ho Ye wo Alfaaz hai jo dil ko chhu jaaye.
आज का मसला
एक मसला है मेरा,
ज़रा सुनते जाना।
कुछ शिकवा है तुमसे,
जरा सुनते जाना।कुछ़ नया नहीं,
बात मज़हब कि है,
हो तुम्हारा या मेरा
बाद एक ही है।हम एक के होकर भी
आपस में अलग हैं।
वो अलग होकर भी
बस एक ही है।जब वो एक है
तो हम अलग कैसे ?
युं एक से होकर भी
हम अलग कैसे?