शेर से दोस्ती

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अब राजा सुखदेव बोहोत ज्यादा चिंतित हो चूके थे और वे ऋषि ज्ञानज्योति बाबा से पूछते हैं अरे गुरुदेव ये आप क्या कह रहें है तब ऋषि ज्ञानज्योति राजा से ये सच है महाराज इस सच को कोई मनुष्य नहीं टाल सकता।

ये बाते सुनकर राजा अपनी उस बच्ची को गोद में लेते हैं और फूट फुटकर रोने लगते है और कहते हैं हे भगवान इस बच्ची ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था जो इसे इतना बडा दुख दिया तुमने आखिर किस जन्म का बदला ले रहे हो तुम मुझसे।ये देखकर सारी परजा भी उदास हो जाती है और सभी उन दोनो बच्चियों को आशीर्वाद देकर अपने अपने घर जाने लगते है।अब राज्य की सारी खुशी मानो कही खो सी गई थी राजा हरदम उदास से रहने लगे थे।

धीरे धीरे कुछ साल बीते वो दोनो बच्चिया अब थोड़ी बड़ी हो चुकी थी  राज्य में भी सब बीती बातें पुरी तरह भूल चूके थे राजा अपनी दोनो बच्चियों से बोहोत प्रेम करते थे वो कही भी जाते तो उनके लिए कुछ ना कुछ लेकर जरुर आते और दोनो बच्चिया उसे मिल बांटकर खा लेती।

एक दिन की बात है दोनो बहने होनी और शोभागिय खेलने के लिए चुप चाप बीना किसी को बताए अपनी सहेली सिखा के साथ जंगल मे जाति है वहा जाकर वो तीनो खेलने लगती है होनी सिखा से अरे सिखा मुझे पकड़ तभी नही मुझे पकड़ शोभागीय कहती हैं वो तीनो खेल ही रही होती है की तभी उन्हे जंगल से एक शेर की आवाज सुनाई देती है

तभी होनी उन दोनो से बोलती है लगता है यहा पर कोई है तभी उसकी सहेली सिखा ऐसी आवाज तो मैने पहले कभी नहीं सुनी क्या तूने सुनी है शोभागिय तब शोभागिय मुझे तो ये किसी गाय की आवाज लगती है

तभी होनी अरे पागल गाय की आवाज़ ऐसी थोडी होती है होनी ये कह ही रही होती है की तभी वो शेर जंगल से निकलकर उनके सामने आ जाता है उसे देखकर सिखा डरते हुए कहती हैं ये तो कोई खतरनाक जानवर है भागो वरना ये हमे खा जाएगा उसकी इतनी बात सुनने के बाद वो तीनो वहा से भागने लगती है

लेकिन तभी शेर दौड़ता हुआ एकदम से उनके पास आता है उसे देखकर सिखा चिल्लाती है लेकिन होनी और शोभागिय  उसके चहरे को गौर से देखने लगती है और धीरे धीरे उसके माथे पर दोनो अपना हाथ रखती है उनके हाथ रखते ही शेर एकदम से शान्त होकर नीचे की तरफ बैठ जाता है और उनके पैरो को चाटने लगता है

होनी।Honi।Auther -sachin kumarजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें