1. ꧂

32 5 0
                                        

(Please use the scrolling mode to read)
!!TRIGGER WARNINGS ALERT!!


꧁༒༺ ╚»★«╝ ༻༒꧂

☆꧁༒༺ ╚»★«╝ ༻༒꧂

ओह! यह छवि हमारे सामग्री दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती है। प्रकाशन जारी रखने के लिए, कृपया इसे हटा दें या कोई भिन्न छवि अपलोड करें।

अगली मेट्रो - 08:30 am (10 मि. में)

ढेर सारे लोगों और उनसे आती मंद मंद आवाजों से पूरे मेट्रो स्टेशन में एक हल्की हलचल सी मची हुई थी। कुछ लोग जल्दी में थे, तो कुछ अपने निर्धारित समय से काफ़ी पहले ही आ पहुँचे थे। वहाँ, उस वक़्त कोई भी अपने आस पास वाले इंसान के बारे में कुछ भी नहीं जानता था। सिवाय एक व्यक्ति के। या दो? तीन भी हो सकते थे।

निहारिका ने अपनी मेट्रो का स्टेटस वहाँ लगी डिजिटल स्क्रीन पर पढ़ा और एक लंबी, आरामदायक सांस ली। वह वहाँ तक दौड़ती-भागती पहुँची थी, इस डर में कि कहीं उसकी मेट्रो मिस ना हो जाए। हाँ, वह अगली मेट्रो में भी बैठ सकती थी, मगर ऐसा करने से उसे वहाँ पहुँचने में काफ़ी देर हो जाती, जहाँ के लिए आज वह अपने घर से निकली थी।

यूँ तो हर रोज़ निहारिका अपने घर से 9 बजे वाली मेट्रो के लिए निकला करती थी, अपने काम पर जाने के लिए। वो समय उसके लिए सही और सबसे आसान होता था। मगर आज वह अपने काम पर नहीं जा रही थी। आज वह अपनी एक सहेली से मिलने जा रही थी।

सुबह 8:30 बजे की भीड़ निहारिका को रोज़ मिलने वाली 9:00 बजे की भीड़ से काफ़ी अलग लग रही थी। ये उसका भ्रम भी हो सकता था। निहारिका ने प्लेटफॉर्म के चारों ओर घूम कर देखा और एक सीट पर जाकर अपने बचे हुए 10 मिनट बिताने के लिए बैठ गई।

उस वैटिंग सीट पर एक बार में तीन लोग बैठ सकते थे।

जैसे ही निहारिका उस सीट पर बैठी और अपना बैग अपने बगल में रखने लगी, दो लड़के, जो उसी की उम्र के मालूम पड़ते थे, उस सीट के सामने आकार खड़े हो गए। निहारिका ने तुरंत अपना बैग उठा अपनी गोद पर रख लिया और वो दोनो लड़के उस सीट की बची हुई जगह पर बैठ गए।

Metronomic Soulsजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें