आज़ाद है तू

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आज़ाद है तू

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आज़ाद है तू

बोल,
बोल की लब आजाद है तेरे,
बोल की जुबान अब भी तेरी है,
बोल अगर कोई तकलीफ है तुझे,
तू बोल,
तेरे अलावा कोई नहीं जो तुझे चुप कर सके ।

उड़,
उड़ अपने सपनों की उड़ान तू उड़,
अपनी खुशी के पैगाम ले तू उड़,
इस खुले आसमान में तू उड़,
तू उड़,
यहाँ एसा कोई नहीं जो तेरे पंख कतर सके।

बढ़,
बढ़ अपनी खुशियों की ओर तू बढ़,
अपने लक्ष्य की ओर तू बढ़,
अपने असीम संभावनाओं की खोज में बढ़,
तू बढ़,
किसी को हक नहीं कि तेरे सपनों की सीमा तय कर सके

जी,
जी हर पल उत्साह के साथ तू जी,
अपने अच्छे कर्मों का फल तू जी,
हर छोटी-बड़ी खुशी को तू जी,
तू जी,
तेरा ये हक तुझसे कभी कोईछीन सके ।

आज,
आज हर उस पिंजरे से आज़ाद है तू,
जिन्होंने तुझे अपने मन की करने से रोका है,
अब आज़ाद है तू,
कोई न रोकेगा तुझे,
कोई न टोकेंगा तुझे,
अब आज़ाद है तू।

~ विप्रांशी सिंह
(Vipranshi Singh)

~ विप्रांशी सिंह (Vipranshi Singh)

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Swar TarangWhere stories live. Discover now