याद आती हो तुम
जब कोई खयाल नहीं रखता
खयाल इस बात का की मैं खुश हूं या नही
खयाल इस बात का की कुछ खाया या नही
खयाल इस बात का की किसी के शब्दों से बिखर तो नहीं गई
खयाल इस बात का की इतना करके भी गलत मैं ही
खयाल इस बात का की हमेशा पीछे मै ही रही
खयाल इस बात का की मेरे पास तुम नहीं
प्यार और धोके को भूलने के जरिए कई है
पर अब जब तुम साथ नहीं तो किसी चीज़ के मायने नहीं है
उस शक्स के आने का तो इंतजार भी कर लूं
तुम आओगी नहीं इसको अपने ज़ेहन में कैसे भर लूं
सवाल करु भी तो क्या खुदा से
इनके जवाब का जवाब तो उसके पास है
मेरी खुशी थी जो अब वो खुदा की खास है
पर एक सवाल जो हमेशा तंग करता है मुझे
क्या गलती थी मेरी जो चीन लिया उसको मुझसे?