भाग 1: शुरुआत का अनकहा सच

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रात का सन्नाटा हर तरफ फैल चुका था, लेकिन सुहासिनी के मन में उथल-पुथल मची थी। वह बिस्तर पर लेटी, छत की ओर एकटक देख रही थी। बाजू में सोए उसके पति, समीर, के खर्राटे कमरे में गूंज रहे थे। समीर एक सफल बिजनेसमैन था, हर कोई उसे आदर्श पति मानता था—वह घर की जरूरतें पूरी करता, परिवार के लिए वक़्त निकालता, और दुनिया की नजरों में यह जोड़ा खुशहाल था। लेकिन क्या वाकई?

सुहासिनी को खुद से ही यह सवाल बार-बार कचोट रहा था। शादी के आठ साल बीत चुके थे, और हर दिन बस एक और दिन की तरह गुजर रहा था। दिनचर्या इतनी सामान्य और यांत्रिक हो चुकी थी कि प्यार और चाहत का एहसास कहीं खो गया था। समीर को वह तब से जानती थी जब वे कॉलेज में थे—उनका रिश्ता गहरा था, लेकिन अब उस रिश्ते में वही मिठास नहीं बची थी। प्यार अब केवल एक आदत बन चुका था।

सुहासिनी ने करवट बदली, दिल में एक अजीब सा खालीपन था, जिसे वह खुद भी समझ नहीं पा रही थी। बाहर से वह परफेक्ट पत्नी और माँ थी—दो बच्चों की परवरिश में व्यस्त, एक जिम्मेदार बहू, और समीर के हर काम में उसका साथ देती हुई। लेकिन अंदर, उसकी भावनाएं कहीं गहरे समुंदर में डूब चुकी थीं। वह अपने आप से लगातार यही सवाल पूछती—क्या यही उसकी ज़िंदगी थी? क्या इसी में उसकी खुशियाँ बसी थीं?

वहीं, समीर अपनी ही दुनिया में था। वह अपने काम, अपने दोस्तों, और सोशल सर्कल में इतना व्यस्त रहता कि सुहासिनी की भावनाओं का उसे कभी आभास ही नहीं होता। उसे लगता था कि सब कुछ ठीक है। आखिरकार, वे एक 'परफेक्ट कपल' के रूप में देखे जाते थे। लेकिन कभी-कभी सुहासिनी की आँखों में जो उदासी झलकती थी, वह शायद किसी और से छुपी हो, लेकिन उससे नहीं।

एक शाम, जब समीर देर से घर आया, सुहासिनी ने सहजता से पूछा, "आजकल बहुत बिज़ी हो गए हो, सब ठीक है ना?"

"हाँ, सब ठीक है। बस काम में थोड़ा ज्यादा वक्त लग रहा है।" समीर ने एक लापरवाही भरी मुस्कान के साथ जवाब दिया। उसके जवाब में ना तो कोई भाव था, ना ही कोई गहराई।

सुहासिनी ने कुछ कहा नहीं, पर अंदर ही अंदर उसका दिल और उदास हो गया। एक अनकही दूरी दोनों के बीच बढ़ रही थी, जिसे वो महसूस कर रही थी, लेकिन शब्दों में बयां नहीं कर सकती थी।

समीर अपनी ही दुनिया में मशगूल था, लेकिन सुहासिनी धीरे-धीरे अपनी भावनाओं को एक अनजानी जगह पर बहते हुए महसूस करने लगी थी। और यही वह जगह थी, जहाँ से उनके जीवन में कुछ नया शुरू होने वाला था—एक अनकहा सच, जो उनकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा।

क्रमश:

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