समीर और सुहासिनी के बीच की दूरी धीरे-धीरे पिघल रही थी। उनके बीच के बदलते रिश्ते का असर अब सिर्फ उनके व्यक्तिगत जीवन पर नहीं, बल्कि उनके बच्चों और परिवार के बाकी सदस्यों पर भी पड़ने लगा था। जो घर पहले तनाव और असहजता का शिकार था, वह अब प्यार और आपसी समझ का स्थान बन रहा था।
सुबह का समय था, जब सुहासिनी रसोई में बच्चों के लिए नाश्ता तैयार कर रही थी। समीर ने उसे नज़रअंदाज़ करने के बजाय अब उसकी मदद करने का निर्णय लिया था। उसने चुपचाप आकर सुहासिनी के बगल में खड़े होकर एक प्याला चाय बना दी। सुहासिनी को उसकी यह छोटी सी मदद देखकर दिल से खुशी महसूस हुई। दोनों ने बिना शब्दों के एक-दूसरे की ओर मुस्कराकर देखा।
बच्चे अपने कमरे से बाहर आए और रसोई में चल रही बातचीत को देखकर हक्के-बक्के रह गए। माही, जो सबसे छोटी थी, अपनी माँ के पास आकर बोली, "माँ, क्या आज पापा भी नाश्ता बना रहे हैं?"
समीर ने हंसते हुए कहा, "हाँ बेटा, आज पापा भी मदद कर रहे हैं।" उसने माही को गोद में उठा लिया, और एक हल्की सी खुशी पूरे परिवार में फैल गई।
सुहासिनी ने इस बदलाव को महसूस किया। बच्चों के चेहरे पर भी वही सुकून था, जो वह लंबे समय से चाहती थी। जहाँ पहले समीर और सुहासिनी के बीच की अनबन बच्चों पर असर डाल रही थी, अब यह नया माहौल बच्चों के साथ उनके रिश्ते को भी सुधारने का मौका दे रहा था।
रात के खाने के बाद समीर ने कहा, "कल हम सब साथ में बाहर चलेंगे। काफी समय हो गया है, हमने एक साथ कोई ट्रिप नहीं की।"
यह सुनकर बच्चे खुशी से उछल पड़े। सुहासिनी ने भी मुस्कराते हुए हामी भरी। अगले दिन वे एक छोटे से पिकनिक के लिए पास के पार्क गए। बच्चों ने पार्क में खेलना शुरू किया, और समीर और सुहासिनी पास बैठकर उन्हें देख रहे थे।
समीर ने धीरे से कहा, "शायद हम दोनों ही इतने उलझ गए थे कि हम यह भूल गए कि बच्चे भी हमारे इस रिश्ते का हिस्सा हैं।"
सुहासिनी ने सहमति में सिर हिलाया। "हाँ, मैं भी यह महसूस कर रही हूँ। पहले जब हमारे बीच दरार थी, तो बच्चे भी कहीं न कहीं इसका भार झेल रहे थे। लेकिन अब मुझे लगता है कि हम जो भी कर रहे हैं, वह सिर्फ हमारे लिए नहीं है, बल्कि उनके लिए भी है।"
समीर ने एक गहरी साँस ली और कहा, "मैं सच में चाहता हूँ कि हम इस बदलाव को बनाए रखें। बच्चों को यह महसूस होना चाहिए कि उनके माता-पिता एक मजबूत रिश्ते में हैं।"
उन दोनों ने महसूस किया कि बच्चों के साथ बिताया गया यह समय न केवल उनके रिश्ते को फिर से जोड़ने में मदद कर रहा था, बल्कि यह उनके बच्चों के साथ उनके रिश्ते को भी और मजबूत बना रहा था।
समय के साथ-साथ यह छोटे-छोटे बदलाव एक बड़ा प्रभाव छोड़ने लगे थे। बच्चे अब माता-पिता के बीच की नई गर्मजोशी को महसूस कर रहे थे। वे पहले की तरह तनाव में नहीं थे। अब घर का माहौल पहले से कहीं अधिक सकारात्मक और खुशहाल हो गया था।
रविवार की एक शाम, समीर और सुहासिनी ने बच्चों के साथ एक पारिवारिक फिल्म देखने का फैसला किया। सब मिलकर हंसी-मजाक कर रहे थे, पॉपकॉर्न खा रहे थे, और एक दूसरे के साथ समय बिता रहे थे। यह वही परिवार था जो कभी तनाव और दरारों से घिरा हुआ था, लेकिन अब वह एकजुट और खुशहाल दिखने लगा था।
सुहासिनी ने महसूस किया कि यह बदलाव केवल काउंसलिंग या बातचीत का परिणाम नहीं था, बल्कि यह प्यार, समझ और सामंजस्य से उपजा एक नया रिश्ता था, जो अब उनके पूरे परिवार में फैल चुका था।
समीर और सुहासिनी ने अपने रिश्ते को सुधारने के साथ-साथ अपने परिवार को भी एक नया जीवन दिया था। बच्चों के चेहरे की मुस्कान और उनकी आँखों में चमक यह साबित करती थी कि परिवार के सभी सदस्य अब एक नई शुरुआत कर रहे थे—एक ऐसी शुरुआत जिसमें प्यार, भरोसा और एकता थी।
क्रमश:
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एक अलग सफर
Short Storyएक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को दर्शाती 7 भाग की लघु कहानी " एक अलग सफर " को पढ़े और अपना प्यार दे।