तुम्हारे संग प्यार के शुरूवाती दिन

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तुम्हारे संग प्यार के शुरूवाती दिन
सर्दियों में रात भर की बारिश के बाद सुबह की धुंध,
जो ढाप लेती है अपने पीछे के सारे ज़माने को।
खुले मैदान में लहराती हरी घास,
जिसपर नंगे पांव चलते रहें।
जहां न घर लौटने की फिक्र हो,
न दिन ढलने का।
तेज ठंडी हवा जो बालों को कंधे के पीछे ले जाती है,
जो उड़ा ले जाती है पतझड़ के सूखे पत्ते ।
पहली बारिश से उठी मिट्टी की सौंधी खुशबू,
काली स्याह रात में पूरा सा चांद,
किसी पुराने पीपल के पेड़ से उड़े सकड़ो परिंदों का झुंड
और ये आसमान जो खतम ही नहीं होता
दूर दूर तक,
तुम्हारा प्यार समुंदर में उठती बड़ी सी लहर है
और मैं छोटी सी कश्ती,
जिसे पूरी ताकत से उछाल कर फेक दिया हो,
साहिल में,
हमेशा हमेशा के लिए।।

_________________°°°°___________________तुम्हारे संग प्यार के शुरूवाती दिनसर्दियों में रात भर की बारिश के बाद सुबह की धुंध,जो ढाप लेती है अपने पीछे के सारे ज़माने को।खुले मैदान में लहराती हरी घास,जिसपर नंगे पांव चलते रहें।जहां न घर लौटने की फिक्र ...

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~Jaan_writes
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