मुलाकात से पहले का एहसास

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शाम के 5 बज रहे थे करिबन, और मैं पिछले 3 घंटे से दुल्हन की तरह सजाने का प्रयास कर रही थी। बाद में नेल पॉलिश के एक्सटेंशन भी लगवा लिए हाथ और पैरोंपर। मेंहदी लगे हाथ और पैरों के ऊपर वो बड़े बड़े लाल रंग के नाखून बोहोत मस्त लग रहे थे। मेरा शरीर अब नए दुल्हन की तरह तैयार था मेरे दूल्हे का मन बेहोश करने के लिए। तभी अचानक मुझे butt plug की याद आयी। मैने तुरंत सूटकेस का zip सेक्शन खोला और वहा अकेला स्टील का butt plug मेरी राह देख रहा था। उसको अच्छी तरह धोके, Durex gel लगाया और मेरी लाल साड़ी को ऊपर करके पेटीकोट के अंदर लाल रंग के पैंटी को नीचे उतार दिया और फिर मेरा नाजुक से butt के छेद को durex gel का मालिश किया। आरामसे मैने butt plug को मेरे छेद में धीरे धीरे घुसेड़ा, और फिर मेरे छेद ने भी उसको gel की वजह से पकड़ के रखा और सिर्फ उसका गुलाबी क्रिस्टल मेरे छेद के ऊपर एक ज्वैलरी की भांति चमक रहा था। मेरा तड़पना शुरू हो गया था। पैंटी फिर से पहन ली और साड़ी को अच्छी तरह से पहन लिया। मेरा फोन लेके मैं मैसेज देखते देखते रूम से बाहर आ गई और सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी। मेरे शरीर ने अब औरत बनने का एक स्टेप पूरा किया था और मैं लड़कियों की तरह ही सिर नीचे करके, और पैर एक के सामने एक रखते हुवे चल रही थी। और उस वजह से मेरे नितंब के छेद में दर्द का एहसास हो रहा था (और वक्त बीतते वो और भी बढ़नेवाला था...)। किचन से जूस की बॉटल उठाके पीने लगी, तो गढ़वाली नथुनी बीच में आ गई। नथुनी को थोड़ा खिसकाया तो नाक के छेद की जगह दर्द होने लगा। जूस ने ठंडक तो दे दी मगर सारे छेद में जो गहने भरे थे उससे दर्द का एहसास गर्मी में तफ्तीश हो रहा था। क्या हर दुल्हन को इसी तरह लगता होगा? मैं सोच ही रही थी तभी राजपूत साहब का कॉल आ गया। वो थोड़ी देर में पधारनेवाले थे। अब बस मुझे घूंघट ओढ़े इंतजार करना था। मैने पानी और बीयर के बॉटल्स ट्रे में रखे और उनकी इंतजार में दरवाजा खोलके खड़ी थी। बाहर बिलकुल सन्नाटा था, शाम ढल रही थी मगर रोशनी अभी भी आकाश को चमका रही थी। ठंडी हवा कुछ ज्यादा ही बह रही थी और मेरे अंदर की गर्मी को ठंडक दिलाने का प्रयास कर रही थी। उनके कार की आवाज आ गई तो मैंने घूंघट की आड़ में उनको गाड़ी से उतरते देखा।

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