मुंह-दिखाई

45 0 0
                                    


राजपूत साब चौपाई पे बैठ गए तकिए को रेल के। और मुझे हाथोंसे इशारा किया, बोले "आजा प्राजु, मेरे गोदी में आराम से बैठ। देख तो कहां लोहा गरम है?" और जोरसे हंसने लगे। मैं कमर लटकाती, पायल छनकती, चूड़ियां खनकाती हुई उनके पुष्ट कंधोंको पकड़के उनके गोदी में बैठ गई और उनसे चुम्मा लेनेके इंतजार में तांक रही थी। आसपास की खेती से ठंडी हवा बह रही थी और हम दोनोको टकराके नरम महसूस हो रही थी। चुम्मियोंका दौर जारी रहा और मुझे मेरे गांड़ के होल के नीचे, पैंटी के बाहर गरम और कड़क लन्ड का एहसास होने लगा, और धीरे धीरे चुम्बन के साथ वो एहसास बढ़ने लगा, और मेरे पैंटी को टकराने लगा। उन्होंने कहा, "अब जिस लोहे के राजा को तुमने जगाया है, उसकी सेवा करोगी तो ही राजा खुश होगा।, चलो जमीन पे बैठ के सेवा करो..."
फिर मैं नीचे गालीचे पर बैठ कर दोनो हाथों से लन्ड को हाथ लगाया। रात के अंधेरे में, अलग अलग तरह की लाइट्स के साथ वो लन्ड एकदम मजबूत और मस्त नाग जैसा डोल रहा था। मैने अपने हाथोंसे उसको मसलना शुरू किया। बाजू के रास्ते से कार या ट्रक की आवाज आ रही थी तो घबराके लन्ड जोरों से पकड़ लेती थी। हालांकि कोई हमे रास्ते से देख न पाता मगर मन बोहोत घबराता है । थोड़ी देर मसलने के बाद, वो सामने को और मुझे चुम्बन लेने झुके और मेरी नथनी को हल्का धक्का देकर चुम्बन लिया और अपने हाथोसे लन्ड को मेरे होठों से लगाते हुवे बोले, "अब राजा को मस्त अपनी होठों के रस से नेहलाओ"। मैने आज्ञा का पालन करते हुवे वो लोहे जैसा कड़क हुवा लन्ड मेरे मुंह में लिया और अंदर लेती रही जब तक वो मेरे गले को बंद न कर दें। और फिर मेरे मुंह के रिटर्न जर्नी होने लगी, लन्ड के टोप तक, और वापिस पूरा अंदर। मेरे मुंह में लन्ड आते जाते मेरे नथनी को टकरा रहा था, मेरी चूड़ियां उस tent house को अपनी आवाज से चिल्ला चिल्ला कर बता रही थी की यहां पर एक दुल्हन अपने दूल्हे राजा को खुश कर रही है। उनके मुंह से चीत्कार धीमे धीमे आ रही थी और लन्ड राजा तो रस में पूरे नहा चुके थे। फिर वो चौपाई पे लेट गए और वापिस चूसने को बोला। एक हाथ से मेरा सिर उन्होंने पकड़ा था और दूसरे हाथ से पीठ के नीचे गांड़ की छेद का नाप ले रहे थे। मेरी पैंटी के अंदर हाथ डालके मेरे नर्म छेद को अपनी गीली उंगलियों से मसल रहे थे। थोड़ी देर तक चूसने के बाद उनका लन्ड और मेरा छेद दोनो गीले हो गए थे।
फिर खुद मेरे मुंह से लन्ड हटवाया और मुझे चौपाई पे लिटा दिया पीठ के बल । और मेरा मुंह चौपाई के बाहर डोलता हुवा रख दिया, बाद में उसको अपने पैरों से पकड़ लिया और मेरे मुंह में धीरे धीरे पूरा अंदर डालके mouth fuck करने लगे। जैसे जैसे वक्त बीतता गया उनकी गति बढ़ाने लगी और फिर skull fuck महसूस किया मैने । बीच बीच में लन्ड हटाके चुम्मिया लेते थे और फिर मुंह चुदाई शुरू करते थे। आगे झुकके मेरे जांघों को चूमके फिर मेरे निपल्स को दबाके उसको चूसा और फिर आगे झुकके पैरों को ऊपर चौपाई पर रखने को बोला और वापिस हाथों की उंगलियों से गांड़ के छेद में गीली उंगलियां डालने लगे।

इंदौर का अनुभवजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें