कौन कहता है कि लड़की होना आसान होता है?

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कौन कहता है लड़की होना आसान होता है?
इसमें भी अपना ही एक अभिमान होता है।
जब निगाहें पीछा करती है,
नज़रें तन में छेद करती हैं,
डर लगता है उन घूरती आंखों से,
जो सुरक्षा को जैसे भेद जा करती हैं।
कौन कहता है लड़की होना आसान होता है?
जहाँ कपड़ों का आधार ही साकार होता है,
छोटे कपडों का अर्थ फ़ूहड़
और बड़ों का अस्तित्व नाकारा होता है।
कौन कहता है कि लड़की होना आसान होता है?
जहाँ आज भी बंद कमरों में
हमारा मानहान होता है,
हम उस देश के वासी हैं  जहाँ
आज भी हमारी ज़िंदगी का नेता आवाम होता है।
कौन कहता है कि लड़की होना आसान होता है?

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This one's for all those lovely Indian over there.. I must warn you that this poem does not concern everybody and many of you might not agree to my thoughts which is totally acceptable as all of us are different with diferent mindsets.. I just wish that the lovely readers won't judge the poem because I wrote it for the sake of those girls who live in extreme conditions.. Others who are not comfortable are free to skip the chapter..

Again thank you all of you for reading, voting and commenting on my poems.. We hit a century of reads and though its not much of a big deal but it is still a milestone..

Enjoy!!!!

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