Gopi uddhav samvaad

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This poem is obviously not written by me. This is my favourite conversation between Uddhav and Gopis. I have written it once before. It shows how great the love of Gopis was towards Lord Krishna. Yes Krishna is remembered with Radha but he is also called Gopi Vallabh. They were mere damsels of Vrindavan  but with their unconditional love towards Lord Krishna they are now remembered as the most learned souls. I personally admire them for their love without the expectation of any love in return. That was the greatness of their love... Here it goes.

हम प्रेम नगर की बंजारन
जप तप और साधन क्या जाने
हम शाम के नाम की दीवानी
नित नेम के बंधन क्या जाने
हम बृज की भोली गंवारनिया
ब्रह्म ज्ञान की उलझन क्या जाने
ये प्रेम की बाते है उद्धव
कोई क्या समझे कोई क्या जाने
मेरे और मोहन की बातें
या मै जानू या वो जाने

शाम तन शाम मन शाम हैं हमारो धन
आठो याम पूछो हमें शाम ही सो काम हैं
शाम हिये शाम पिए शाम बिन नाही जिए
आंधें की सी लाकडी आधार शाम नाम है
शाम गति शाम मति शाम ही हैं प्राणपति
शाम सुख दायी सो भलाई आठो याम हैं
उद्धव तुम भये बवरे पाथी ले के आये दोड़े
हम योग कहा राखे यहाँ रोम रोम शाम है

I know it's very short version. The actual version is about 89 pages long. These two are most famous paras which are sung in braj. It is written by surdaas ji.

A devoted poet praised the devotion and surrender of Gopis to Lord Krishna. They were just as much respected as Radha and Krishna. After listening to there words Uddhav ji had said following words

मेरे लिये तो सबसे अच्छी बात यही होगी कि मैं इस वृन्दावनधाम में कोई झाड़ी, लता अथवा ओषधि-जड़ी-बूटी ही बन जाऊँ! अहा! यदि मैं ऐसा बन जाऊँगा, तो मुझे इन ब्रजांगनाओं की चरणधूलि निरन्तर सेवन करने के लिये मिलती रहेगी। इनकी चरण-रज में स्नान करके मैं धन्य हो जाऊँगा। धन्य हैं ये गोपियाँ! देखो तो सही, जिनको छोड़ना अत्यन्त कठिन है, उन स्वजन-सम्बन्धियों तथा लोक-वेद की आर्य-मर्यादा का परित्याग करके इन्होंने भगवान की पदवी, उनके साथ तन्मयता, उनका परम प्रेम प्राप्त कर लिया है-औरों की तो बात की क्या-भगवद्वाणी, उनकी निःस्वासरूप समस्त श्रुतियाँ, उपनिषदें भी अब तक भगवान के परम प्रेममय स्वरूप को ढूँढती ही रहती हैं, प्राप्त नहीं कर पातीं।

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साभार krishnakosh.org

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If I ever get time in future I will post the sur das uddhav gopi samvaad and bhramar geet full version which is beautiful and give me goosebumps every time I read it.


love in separation (Completed)Where stories live. Discover now