Episode 7

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आज सुबह से ही जैसे घर में एक तूफान सा उठा हुआ था। सब तरफ अफरा तफरी थी। शाम को लड़के वाले आने वाले थे मेरी सगाई के लिए। आज ही लगन भी उठना था। अम्मा बार बार बाबा को येह ला दो, वो ला दो बोलकर बाजार दौड़ा रही थी। दादी की हसी से पूरा घर गूंज रहा था। सिर्फ एक मैं ही थी घर में जो गूंगी गुड़िया बनी एक कोने में बैठी थी। मुझे अभी भी समझ नहीं आ रहा था की अचानक ये हुआ क्या? अभी कल तक तो मैं गुड़िया दी की शादी मैं सज-धज रही थी और आज मेरी शादी हो रही है।

किससे, कौन है लड़का, कैसा दीखता है, क्या करता है, उसका सवभाव कैसा है, क्या वह मुझे पसंद करेगा? मेरे सपनो का क्या होगा? क्या मैं आगे पढ़ पाऊँगी? क्या मैं वह सब कुछ अब कर पाऊँगी जो मैंने सोचा था? इतने अनगिनत सवाल और जवाब कुछ भी नहीं था मेरे पास। ऐसा लग रहा था जैसे किसी दानव ने मेरे रेत के महल को बड़ी बेरहमी से तोड़ दिया हो और मैं चुपचाप एक बेजान पुतले की तरह सिर्फ देखे जा रही हूँ।

"अरे नीतू, आओ आओ, कितनी देर से आयी। तुम्हे तो सबसे पहले आना चाहिए था। घर  में  कितना काम है बिखरा हुआ?  तुम्हारी सबसे प्यारी सहेली की सगाई है और तुम अब आ रही हो?" अचानक अम्मा की तेज़ आवाज़ से में चौकी।

तो नीतू भी आ गयी मेरे मातम का जश्न मानाने। इस वक़्त इसका आना सबसे बुरा लग रहा था। मैं कैद होने वाली हूँ और येह आज़ाद पंछी की तरह आसमान में उड़ेगी। मेरे पैर लोहे की ज़ंज़ीर में जकड जायेंगे और येह अपनी मन मर्ज़ी फुदकती फिरेगी। जिंदगी में पहली बार मुझे नीतू से ईर्ष्या हो रही थी।

"ओह हो मेरी राजकुमारी, तो इधर छुपी बैठी है सारा कारनामा करके। सच पिन्नी, ये अचानक क्या हो गया। तू पड़ाई होने वाली है, वह भी इतनी दूर अमेरिका। सच सच बता, कब चलाया तूने इतना बड़ा चक्कर, हवा भी नहीं आने दी मुझे। मैं प्लान बनाते ही रह गयी और तू दाना भी चुग गयी, हाँ?" नीतू ने मुझे गले लगते हुए पूछा।

मैंने सर उठा कर उसे देखा और फिर धीरे से सर झुका लिया। अब क्या बताऊ इससे की क्या हो गया? पहले मैं तो समझ लूँ ठीक ठीक की अचानक ये बम कैसे फूटा।

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⏰ पिछला अद्यतन: Feb 18, 2020 ⏰

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