Part 4

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आज मैं सुबह से ही बहुत खुश थी। पिछली गर्मियों मैं अम्मा ने मेरे लिए पिले रंग का जारी के कामों वाला सूट सिलवाया था लेकिंग एक दिन भी पहनने नहीं दिया। रख दिया था की किसी फंक्शन मे काम आएगा। आज गुड़िया दी की हल्दी-मटकोर है, आज अम्मा ने वह सूट निकला था मेरे लिए। कसम से, कब से नज़र थी मेरी उस सूट पर।

तो हाँ जी, मैं खूब सज-धजकर आज तैयार हुई। अम्मा ने वह अगले चोराहे पर जो पार्लर है वहां से ब्यूटिशियन बुलाया था मुझे तैयार करने। आमा का भी न, कुछ समझ नहीं आता। अभी पिछले महीने मेरे दोस्त के जन्मदिन पर लिपस्टिक तक नहीं लगाने दिया और आज ब्यूटिशन बुला दिया तैयार करने को। खैर, अच्छा है, अभी अम्मा बहुत खुश खुश है तोह फायदा उठा लो। पता नहीं कब मूड बदल जाये?

आज बहुत लोग भी आये है गुड़िया दी के यहाँ। गुड़िया दी की मौसी जो लंदन मैं रहती है आज सुबह ही पहुंची है अपने परिवार के साथ। अपने गली से सब चाचियां गयी थी उनसे मिलने।अम्मा बता रही थी बहुत पैसे वाले लोग हैं और गुड़िया दी के लिए बहुत सारा गिफ्ट्स भी लाये हैं।करें हाँ उनकी एक बेटी है मेरे उम्र की और दो बेटे भी है। खैर मुझे क्या, अगर लंदन वाली ने ठीक से बात की तो ठीक वर्ना हम भी पानी कम नहीं।

अब देखो कब से नीतू का इंतज़ार कर रही हूँ, पता नहीं कहाँ मर गयी? इधर यहाँ कितनी रौनक है। बोलै भी थे इस लड़की को की वक़्त पर आना, मजे करेंगे, पता नहीं कहाँ गायब है?

"हे ब्यूटीफुल, अरे यू वेटिंग फॉर समवन?" किसी ने पीछे से मेरे कंधे पर थपथपाते हुए पूछा।

"तुम्हे क्या?" मैंने तपाक से जवाब दिया पीछे घूमते हुए।

हाय राम, कितना सुन्दर लड़का है। येह ऊँचा कद, हल्का सावला रंग, बड़ी कंचे सी आँखे और कितनी बड़ी भोहैं है किसकी, जैसे सारा संसार समाया हो इसमें। मैं तो जैसे बोलना ही भूल गयी। बस एक तक उससे ही देखे जा रही हूँ।

"एक्सक्यूज़ मी, आर यू ओके?" एक खूबसूरत हाथ मेरे आँखों के सामने लहराया।

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