अगले सप्ताह ही गुड़िया दी की शादी है। अम्मा ने सबके लिए खूब खरीदारी की है। आख़िरकार इतने लोग आएंगे शादी में। और फिर गुड़िया दी की शादी हो भी तो हो रही है इतने बड़े खानदान में। सुना है, विदेशो से गोरे भी आ रहे है। अब इतने मजे की शादी हो और मैं और नीतू पीछे रह जाएँ, ऐसा कैसे हो सकता है?
तो हमारी तयारी पूरी थी। हल्दी पर क्या पहनेगे, मटकोर में क्या करेंगे और बारात में क्या पहनेगे। अम्मा मेरे लिए सुनहरी चुनरी वाला साटन का लहंगा लायी थी। लाल चोली पर नीला खूब भारी काम वाला लहंगा और उसपर से बड़ी बूंदो वाला झुमका। मैं थीं बार तो
पहन कर आईने के सामने घूम चुकी थी। एक बार नीतू को भी बुलाकर दिखाया था। नीतू की अम्मा भी उसके लिए हरा रंग का बड़ा सुन्दर लहंगा लायी थी।अभी सबसे बड़ी बात तय करनी थी की मांडो पर जूता कौन चुरायेगा? बड़ी मुश्किल से अपने छोटे भाई समय को मनाया। २ चॉकलेट की रिश्वत लेकर माना था वह। खैर अब हमारी तयारी तो पूरी थी। हाँ उधर अम्मा की कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी। कल रात को सुना अम्मा को बाबा से गपियाते।
"क्या कहते हो, अपनी पिन्नी भी अठारहवही में चल रही है। अब गुड़िया की शादी में कितने लोग आएंगे। उसका रिश्ता भी बड़े घर में हुआ है। क्या पता अपनी पिन्नी किसी को पसंद आ जाये। कहे देती हूँ मैं, अगर कोई अच्छे घर से रिश्ता आया तो आप माँ बेटा टांग मत ाराना। आजकल अच्छे रिश्ते कहा मिलते है। मैंने शर्माइन को भी बोला है, उधर गुड़िया की ससुराल में ही कोई अच्छा रिस्ता अपनी पिन्नी के लिए भी देखे। बताओ, वक़्त पर अगर अपनी बेटी अपने घर को हो गयी तोह कितना अच्छा होगा। वैसे भी आजकल का जमाना ठीक नहीं। इसके पहले कुछ इधर उधर हो, मुझे मेरी पिन्नी के हाथ पिले करने है।"
मैंने इतना ही सुना तभी समय ने पीछे से जोर से आवाज़ लगा दी। दौड़ कर भागी मैं। वरना अगर अम्मा देख लेती तो चार बातें सुनने को मिल जाती अलग से। ना बाबा न, नहीं करनी मुझे शादी अभी। कितना चिढ़ाएँगे सब मुझे। इतनी काम उम्र मैं कौन शादी करता है? अम्मा को तोह बस एक ही धुन है, जितनी जल्दी हो मुझे इस घर से निकाल दे।
देखा था मैंने सुमन दीदी का हाल।कितनी अच्छी थी दीदी पढ़ने में। अच्छे रिश्ते के चक्कर में १९ साल में ही शादी कर दी उसकी। कितना सुनते थे की आईएएस लड़का है, अपनी सुमन राज करेगी। क्या हुआ, दो साल के अंदर उसको जला कर मार डाला। अम्मा भी न, सब देखती है, सुनती है, फिर भी उसको चैन नहीं, पता नहीं क्या चिढ है उसको मुझसे।
हाँ भाई, बेटी हूँ ना, बोझ जो हूँ। जल्दी उतार दो। इससे अच्छा तोह बाबा हैं, कितना प्यार करते है मुझसे। लेकिन अम्मा के सामने कहा चल पायेगी उनकी भी। अम्मा किसी की सुनती भी तो नहीं।
में पूरी रात करवटें बदलती रही, एक अंजना सा डर समां गया था अंदर। कही सच मे अम्मा मुझे किसी के साथ भेज देगी तो ? नहीं नहीं, मैंने ऐसा होने ही नहीं दूंगी। ठान लुंगी में भी, भाग जाउंगी घर से लेकिन शादी, नहीं बिलकुल नहीं, नहीं करनी मुझे शादी। मैं भी अम्मा की ही बेटी हूँ, मैं तोह अर जाउंगी जीद पर। देखती हूँ अम्मा कैसे अपनी मन मर्ज़ी करती है।

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anaam rista
Ficción GeneralA hindi story about a middle-class girl with innocent dreams and the fight to establish her own identity