पर उस शायद का शाहिद मैं नहीं (Hindi Poetry)

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(शाहिद का मतलब: eye witness)


क्या होता गर प्रतिस्पर्धा प्रिय प्राणों से न होती?

बच्चों में बचपना बचा रह जाता शायद,

पर उस शायद का शाहिद मैं नहीं।


क्या होता गर फैसला सोच, समझ व समय से लिया होता?

पछतावे का पर्दा पलकों पर पहरा न देता शायद,

पर उस शायद का शाहिद मैं नहीं।



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