अहा क देखै छि त एगो उभार लगैय
कना कहु यो सजनी हमरा अहा से प..प..प्यार लगैयबैन जौ सजनी हमर मन आहाके सुइकार करै य
पल पल अहाके नजर हम्रा बेक्रार करै यअहै क तस्बिर देख देख दिन आ रैत कटै य
अहाके दोसर स बोलैत देखै छि त हमर करेज कटै यबरा मुस्किल से ह्म्रो बर्षात कटै य
अहा बिना हमर जिवै क सेहो आस घटाइ यदेखु एक बेर आ लग मे आबु
आहा ओर हमर बिच के दुरि घटाबु
जल्दिसे हम्रा आहा एगो रस्ता देखाबु
हमर आर आहा के प्रेम के बात अपना बाबु के बताबु
तबै नै मानै य त बात ओर आगु बढाबु
हम जे कहै चि से गौर से बिचारु
दुनिया के नजर मे हमर प्रेम के स्विकारु
जल्दी से इ मन के बेकरारी घटाबुबैन जाउ सजनी हमर मन अहाए क स्विकार करै य
पल पल आहै के नजर हम्रा बेकरार करै य
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मैथिल आवाज
Poetryहमर संस्कृति विशाल एइछ सीता मैयाँ स बुद्ध तक इ ईतिहास एइछ कोइ हाम्रा किछो कहै हम्रा पहिचान मे भग्वान एइछ जनकपुर छिन्मस्ता जहैन सक्तिपिठ सब के आशिष् एइछ युगौ युगस यहा हमर पहिचान पहिचान एइछ बेर बेर यहै नमन य कि हमर संस्कृत महान एइछ