सुनु सुनु मैइ के पुकार

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बाग बगैँचा आ दलान
सब कुछ भगेल छै सम्सान
कहिया तक चल्तै इ घम्सान

कते फलै छेल कते खिलै छेल
हमरो धर्ती इ दुनिया मे गुन्जैछेल

किस्मत के लिख्ल,कि भाग्य के ठोक्ल
सब कुछ सुन्सान भगेल छै  बस्ती
हमरो मुस्की भगेल छै कस्ति

बाग बगैँचा आ दलान
सब कुछ भगेल छै समशान

देखै चि त आइख भरै य
...............आइख भरै य

सुनै चि त मन डरैय मन डरैय....मन डरैय....

भोगै चि त मन त्रसैय...मन त्रसैय...
बोलै चि त ठोर काम‌ै य... ठोर कामै य....

दिन दिन सैकडो देश म लास खसैय...लास खसैय

अपने मे देखु घम्सान मचैय
दोसरक दुख दर्द देख  देख  क
अपने आङ्गन आ दलान कानैय.......

बाग बगैँचा आ दलान
सब कुछ भगेल छै शमशान

कते बिधुवा अा कते फाँसी चढैय
दहेज क कारण कते जैल जैल मरैय
बाल विवाह कारण कते क बर्सौ जान जैय
अशिक्षा  आ कुरिती देखु   ..रिति देखु...रिति देखु...
इ सब के कारण समाजक दुर्गती देखु

बाग बगैँचा आ दलान
सब कुछ भगेल छै श्मशान

तबो न समाजक कुरिती मिटैय
उच निच आ जैत भैत के  सेखी मिटैय
अपने बेटि आ मै के बेदना सुइन सुइन
अपनो धर्ती छाती पिट पिट कनैय

बाग बगैँचा आ दलान
सब कुछ भगेल छै श्मशान

खेत खरिहान जब खाली देखैय
अपने सपूत बिदेशमे दर दर भटकै य
काठ के बक्सामे जब लास आबै य,,,लास अावैय,,,,,
मै बाप आ घर परिवारक आँसु समन्दर जोका बहैय

बाग बगैँचा आ दलान
सब कुछ भगेल छै सम्सान

आबो त सुनु मै के पुकार
अपने घर आइब  मै के करू कर्ज उधार
आपनो खेत बारि हेतै हरियाली
चल्तै फैर स पान मखान
खिल्तै फैरस आङ्गन आ दलान

बाग बगैँचा आ दलान
सब कुछ भगेल छै सम्सान ।।।।
गितकार:-पन्कज

मैथिल आवाजWhere stories live. Discover now