जंजीरें

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मेरे पंख, हैं किंतु मैं ऊड नहीं पाता। मेरे पैर हैं, किंतु में दौड़ नहीं पाता ।

ऐसी जंजीरों ने मुझे जकड़कर रखा है कि में बोल नहीं पाता मैं गा नहीं पाता ।

मैं कैद हू एक सुनदरे पिंजरे मैं क्या मैं बाहर निकल पाऊँगा ?

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⏰ Last updated: Nov 23, 2021 ⏰

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