‌‍‌ॐ ढोंगी इंसान ‌‍‌ॐ

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‌‍‌हे ढोंगी और कपटी खुदाओं, सुनो!
जब आप लोग कल्याण के लिए
हवा, पानी और प्रकाश को हर एक क्षेत्र में समान रूप से लागू नहीं कर सकते। जब आप  हमें प्राकृतिक आपदाओं से नहीं बचा सकते। किसी क्षेत्र विशेष को अकाल और महामारी से नहीं बचा सकते।
यदि आप किसी मृत शरीर को पुनर्जीवित नहीं कर सकते हैं। दिन और रात के बीच कोई परिवर्तन नहीं कर सकते। हमें प्राकृतिक दुर्घटनाओं से नहीं बचा सकते।  यदि आप भविष्य को झाक नहीं सकते हैं।  तो झूठे देवताओं का यह दिखावा क्यों?भविष्य को सींचने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि कम उम्र में ही मानवता को मारने के उद्देश्य से कार्य किया जा रहा है।  यह जान लो कि दुनिया में कुछ भी शाश्वत नहीं है, धूल के कण और अंधेरे के अलावे। अल्लाह और भगवान की प्रेरणा के अलावा संसार में कुछ भी शाश्वत नहीं। यदि अल्लाह और ईश्वर शाश्वत होते तो वे कभी मृत्यु को प्राप्त नहीं होते।  दुनिया को बचाने वाले तरह-तरह के नबी आए और वे भी काल के गाल में जाने से खुद को नहीं बचा सके। तो हम किस खेत की उपज हैं ?
अर्थात वे भी शाश्वत नहीं थे। संसार में यदि कुछ शाश्वत है तो वह जल, वायु और प्रकाश है।
जो एक स्थान पर रहकर समस्त जीव समाज को तृप्ति दे रहा है। संसार में यदि कुछ शाश्वत है तो वह है प्राकृतिक वातावरण। प्रकृति के प्रत्येक अणु में ऊर्जा के रूप में विभिन्न प्रकार के ऊर्जा स्रोत विद्यमान हैं।
जल, वायु, प्रकाश और ऊर्जा ये चार स्तंभ हैं जिन पर प्रकृति भी अभी तक नियंत्रण नहीं कर पाई है। यह शक्ति और संसाधन का वह स्रोत है जिसे समय भी अपने जाल में नहीं लपेट सका है। यह कभी न खत्म होने वाला उत्पाद है।  इसी का नाम शाश्वत है। भले ही पूरा ब्रह्मांड नष्ट हो जाए लेकिन फिर भी इनमें से प्रत्येक अणु जीवित रहता है।  यह कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है।  वे अंत से अनंत हैं... प्रकृति में आतंरिक बदलाव देखना बहुत मुश्किल होता है।  लेकिन हम उन्हें ऊर्जा की तरह महसूस कर सकते हैं।

हमारा शरीर बैक्टीरिया से बना पूरा ब्रह्मांड है, बैक्टीरिया और कोशिकाओं के मेल से ही शरीर का निर्माण संभव है।  जिसके आतंरिक भाग में ब्रह्मांड की भांति सदैव हलचल रहता है।  इसके आंतरिक भाग में लाखों कोशिकाएं मरती और जन्म लेती रहती हैं।  इसी प्रकार पारलौकिक अनंत ब्रह्मांडों के मिलन से निर्मित होता है, पारलौकिक का अर्थ है कि संसारों से परे वह शून्य है जिसे हम पारलौकिक परब्रह्म, प्रमेश्वर, ईश्वर और विभिन्न नामों से संबोधित करतें हैं।  सारी सृष्टि, सारी शक्ति, सारे संसाधन और जन्म-मरण की सारी प्रणालियां उसी शून्य में मौजूद हैं। यह पूरा ब्रह्मांड और ब्रह्मांड का एक-एक अणु बैक्टीरिया की तरह कार्य कर रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि... जब तक यह शरीर है... आपकी दुनिया मौजूद है।  यदि शरीर नष्ट होता है तो तुम्हारा संसार भी नष्ट हो जाता है।  जिस्म को ज़िंदा रखने के लिए... हृदय देश में हर रोज़ जद्दोजहद होती है। जिसमें लाखों बैक्टीरिया मर जाते हैं और लाखों बैक्टीरिया फिर से पैदा हो जाते हैं इसी प्रकार दिव्य आत्मा को जीवित रखने के लिए नित्य लौकिक घटनाएँ होती रहती हैं।

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