युवतियां हमेशा लाज लिवास में ही अच्छी लगती है गुणकारी युवतियां भूलकर भी अपनी मर्यादाएं नहीं लांघती यहीं विनम्रता की पहचान है युवतियों का चल, चर, चरित्र, शब्द और जुवान हमेशा पाक होना चाहिए। क्योंकि यही उनका मूल्य स्वरूप व सिंगार है। यदि शूर्पणखा का चर और चरित्र ठीक होता तो लंका विध्वंस कदा भी संभव नहीं होता। सीता को यदि ज़रा भी मर्यादा का आभास होता तो श्री रामचन्द्र जी को कभी भी इतनी मुश्किल का पहाड़ ढोना नहीं पड़ता। द्रौपदी को यदि अपने कटु शब्द का परिणाम पता होता तो वो दुर्योधन को कभी अंधे का पुत्र अंधा नहीं कहती।और न ही कभी द्रौपदी को चीरहरण जैसी कोई समस्या ही झेलनी पड़ती।ये शब्द, स्वार्थ और प्रतिषोध ही था जिसने इतने बड़े विशालकाय महाभारत खड़ा किया था। युवतियां चाहे कितना भी बड़ा विद्वान क्यों न हो उसपर आंखें मूंद कर भरोसा नहीं किया जा सकता है आपकी जुटाईं गई और लुटाई समस्त सिद्धियों कारण भी वही होता है इसलिए यदि आपके घर बहु बेटी रहती है तो आप उन्हें दण्ड न देकर केवल उनके हर एक्टिविटी पर ध्यान दें और आंखें खोल कर सचेत रहें अन्यथा वो आपके बिन बुलाए समस्या और दुःखों का कारण सिद्ध हो सकता है। औरत यदि जन्नी है तो वो आपके समस्त सिद्धियों को नष्ट करने और मृत्यु को समीप लाने कारण भी वही होता है। अश्लीलता को पालने वाली युवतियां न केवल परिवार अपितु सम्पूर्ण धर्म,समाज तथा देश के समस्त विधि व्यवस्था और संस्कृतियों के लिए भी कुलवंती होती है उससे कहीं ज्यादा अच्छा वो वैश्यावृत्ति औरत है जो कम से कम अपने कार्य प्रणाली को एक पर्दे रहकर करती हैं अश्लीलता केवल दरिंदगी को जन्म देती है परंतु वैश्यावृत्ति उसका अंत कर देती है।
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आत्म दर्शन
Fiksi IlmiahThe purpose of this book is to strengthen humanity and build human society from a new end.इस पुस्तक का उद्देश्य इंसानियत को सुदृढ़ करना तथा मानव समाज को एक नए सिरे से गढ़ना है।