"यादों की गूंज"

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वो क्या था, मेरा वहम या अतीत लौट रहा था?
उसे देखते ही मैं डूब गई थी,
घने अंधेरों की सोच में खो गई थी,
जैसे सारे बिच्छुओं ने एक साथ मुझे काट लिया हो,
मेरा डर इस कदर बढ़ गया,
कि साँस लेना भी मुश्किल हो गया।

कुछ सोच-विचार कर,
मैंने खुद को सँभाला,
अगर वो सच में वो था,
तो क्या उसे अफसोस नहीं हुआ?
उसे रहम नहीं आया?
कोई इतना निर्दयी कैसे हो सकता है?

ये सोच, या फिर वो मेरा वहम,
कि मेरी यादें वापस लौट रही हैं,
यह भयावह है।
शायद यह अतीत की धूल ही
मेरे दिल को ढँक कर रखेगी।
या फिर कभी मैं लौट पाऊँगी
उन उजालों में,
जहाँ अक्सर मैं रहा करती थी।

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