कभी-कभी लगता है जैसे तुम्हें पहचानती हूँ,
तो कभी अजनबी सा एहसास देते हो मेरे लिए।कभी दिल कहता है कि इश्क़ है तुमसे,
तो कभी दुश्मनी सी खामोशी छा जाती है हमारे बीच।कभी आग की तरह सुलग उठती है तुम्हें पाने की तड़प,
तो कभी ठंडी हवाएं थाम लेती हैं इन अरमानों को।कभी लगता है तुम ही हो सबसे करीब मेरे,
और कभी लगता है कि मीलों का फासला है तेरे और मेरे दरमियां।यूँ इन 'कभी-कभी' की जंग में जी रही हूँ मैं,
और हर 'कभी-कभी' में तुमसे मोहब्बत किए जा रही हूँ मैं।
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जज्बातों की खिड़की
Poesía"जज्बातों की खिड़की" प्रेम, जीवन की सच्चाई और ख्वाबों के माया-जाल की मधुर जटिलताओं को उजागर करने वाली कविताओं का एक संकलन है। हर कविता एक अनोखी यात्रा का चित्रण करती है, जिसमें खुशी, तड़प और आत्म-विश्लेषण के रंग बुने गए हैं। यह संकलन पाठकों को स्नेह...