"कभी करीब, कभी दूर"

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कभी-कभी लगता है जैसे तुम्हें पहचानती हूँ,
तो कभी अजनबी सा एहसास देते हो मेरे लिए।

कभी दिल कहता है कि इश्क़ है तुमसे,
तो कभी दुश्मनी सी खामोशी छा जाती है हमारे बीच।

कभी आग की तरह सुलग उठती है तुम्हें पाने की तड़प,
तो कभी ठंडी हवाएं थाम लेती हैं इन अरमानों को।

कभी लगता है तुम ही हो सबसे करीब मेरे,
और कभी लगता है कि मीलों का फासला है तेरे और मेरे दरमियां।

यूँ इन 'कभी-कभी' की जंग में जी रही हूँ मैं,
और हर 'कभी-कभी' में तुमसे मोहब्बत किए जा रही हूँ मैं।

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