Kaisi Khamoshi

6 0 0
                                    

रात भर मैं अपने ख्यालों में डूबा रहा, लेकिन मन में एक अजीब सी खुशी थी। सोच रहा था कि सुबह जल्दी हो और मैं फिर से स्कूल जाकर मोजमा को देख सकूं। जैसे ही सुबह हुई, मैं तैयार होकर स्कूल जाने के लिए उतावला हो गया।

स्कूल पहुंचा, तो सब प्रार्थना के लिए लाइन में खड़े हो रहे थे। मैं भी अपनी लाइन में खड़ा हो गया। लेकिन मेरी नजरें बार-बार मोजमा को ढूंढने लगीं। वो दूसरी लाइन में खड़ी थी। जब मैंने उसकी ओर देखा, तो उसने एक पल के लिए मेरी ओर देखा, लेकिन फिर झट से नजरें फेर लीं। मुझे यह देखकर और भी अच्छा लगा।

प्रार्थना के बाद, हम सब क्लास में गए। जब मैं अपनी जगह पर बैठा, तो देखा कि मोजमा इस बार मेरे बगल दूसरी सीट पे नहीं, बल्कि लड़कियों के बीच में बैठी थी। मैं उसे देखने के लिए बार-बार सिर घुमाता, लेकिन जब भी मैं उसकी ओर देखता, वो झिझकते हुए अपनी दोनों सहेलियों के बीच छुपने की कोशिश करती। और जब मैं उसकी सहेलियों की तरफ देखता, तो वे हंसने लगतीं, जैसे कुछ मज़ाक चल रहा हो।

क्लास शुरू हो चुकी थी, लेकिन मेरा ध्यान टीचर की तरफ कम और मोजमा की तरफ ज्यादा था। हर बार जब मैं उसे देखने की कोशिश करता, ऐसा लगता कि वो मुझे देख रही है। मगर उसकी झिझक और मुस्कुराहट ने मुझे यह महसूस कराया कि शायद उसे भी मुझसे बात करने की इच्छा थी।

सर हिंदी पढ़ा रहे थे और "अभिमन्यु और चक्रव्यूह" के बारे में समझा रहे थे। मैं ध्यान से सुन रहा था, लेकिन मेरे बगल में बैठा अंशु धीरे-धीरे नींद में झूमने लगा।

सर की नजर उस पर पड़ गई। उन्होंने अचानक कहा,
"अंशु?"

अंशु तुरंत चौंककर जागा और बड़बड़ाते हुए बैठ गया। पूरी क्लास में हलचल-सी हुई। सर ने उस पर एक सख्त नजर डाली और फिर पढ़ाना जारी रखा,
"अभिमन्यु, जो अपनी मां के गर्भ में ही चक्रव्यूह तोड़ने का ज्ञान प्राप्त कर चुका था..."

अंशु की आंखें फिर धीरे-धीरे बंद होने लगीं। इस बार सर की तेज आवाज ने उसे फिर जगा दिया।
"अंशु, क्या तुमने कुछ सुना?"

लेकिन अंशु कुछ कहने के बजाय बस सिर हिलाकर आंखें मलने लगा। सर ने चिढ़ते हुए कहा,
"जाकिर, इसे उठाओ!"

मैंने अंशु को हिलाते हुए कहा,
"अंशु... हे, उठो! सर देख रहे हैं।"

अंशु अचानक चौंककर सीधा बैठ गया जैसे उसे झटका लगा हो। क्लास के कुछ बच्चे हंसने लगे, लेकिन मैंने देखा, मोजमा यह सब देखकर हल्की सी मुस्कान दबाने की कोशिश कर रही थी।

सर ने पढ़ाई जारी रखी,
"हाँ, जहां थे... अभिमन्यु के जन्म पर उनके पितामह ने राजभर में यह घोषणा कर दी..."

लेकिन अंशु की हालत देख लग रहा था कि वह दोबारा सोने लगा । मैं मुस्कुराते हुए उसकी ओर देख रहा था, और साथ ही नजर घुमाकर मोजमा की ओर देखा।

इस बार, मोजमा मुझे देखकर खुलकर हंस पड़ी। उसकी हंसी इतनी प्यारी थी कि मैं खुद भी हल्के से मुस्कुराने लगा। जैसे ही उसने मेरी नजर पकड़ी, उसने झट से अपना चेहरा हाथों से ढक लिया, जैसे हंसी छिपाने की कोशिश कर रही हो।

उसका ये मासूम अंदाज मेरे दिल को छू गया।

आप प्रकाशित भागों के अंत तक पहुँच चुके हैं।

⏰ पिछला अद्यतन: 4 days ago ⏰

नए भागों की सूचना पाने के लिए इस कहानी को अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें!

Doctor Doctor, khel me जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें