ये सोच-सोच कर हारी हूँ
कि क्यों तेरी बलिहारी हूँ?
सोवत जागत ध्यान तिहारा
क्यों लगने लगा तू खुद से प्यारा
क्या मैं भी तेरी प्यारी हूँ?
ये सोच-सोच कर हारी हूँ
कि क्यों तेरी बलिहारी हूँ?
जाने कितने बरसों से राहें तेरी तकती हूँ,
हर पल तुझको याद करूँ, नाम जपत ना थकती हूँ ,
डूब चुकी थी अश्रु सागर में ,तेरे नाम से ही अब तारी हूँ
ये सोच-सोच कर हारी हूँ
कि क्यों तेरी बलिहारी हूँ?