नहीं ये खुशी की चमक नहीं है ,
और ना ही जीत की ही चमक है ....नहीं ये अच्छाई की चमक नहीं है ,
और ना ही सच्चाई की ही चमक है ....ये तो जो सामने हो तुम मेरे ,
तो चमक उठी हूँ मैं ....क्योंकि चाँद में अपनी कोई चमक नहीं होती,
वो तो सूरज की रौशनी से ही जगमगाता है .....