जागरण

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त्याग निद्रा , श्रम हो  , परिश्रम हो
राह ठान, पथ अपना प्रशस्त हो
घेरे जब संदेह , खुद पर विश्वास हो

कितना बिषम , तम से हो रण,
निश्चित है जित जब मन हो जागरण,
हर मन जागरण
जन जन जागरण।

धुप का प्रवाह हो, मंद अंध कूप में,
समाज हित का काम हो
दीप प्रगति की जले।

रात्रि करे जो अंधकार , प्रयत्न का हो शंखनाद
कल्याण का उद्देश्य हो
हो एकता का राग,
उज्जवल देश का भविष्य हो
राष्ट्र निर्माण हो,

कितना बिषम , तम से हो रण
निश्चित है जीत जब मन हो जागरण,
हर मन जागरण
जन जन जागरण।

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