एक पल जिंदगी-13

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      बहुत सुकून मिला मुझे जब मैं प्लेटफॉर्म पर ट्रेन को रुका देखा ,
मैं भगवान को तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।

             यह ट्रेन भी हॉर्न दे रही थी ।
              गॉर्ड हाथ मे हरे रंग के झंडे को हवा में लहरा रहा था ।
             ट्रेन अब  भी रुकी थी ।
    
      मैं भागकर रति के कंपार्टमेंट के बाहर खड़ा हो गया । उसके सीट की तरफ खिड़की से देखा तो रति जो कि खिड़की के विपरीत मुह किये बैठी थी । उसके स्ट्रैट शाइनी भूरे बाल बहुत ही प्यारे लग रहे थे । मैं बाहर से ही उसके सिर पर एक थपकनी दे दिया।

        वह घबराकर खिड़की से बाहर देखी तो मैं यह बोल कि "अंदर आ रहा हूँ" आगे बढ़ गया । ट्रेन धीरे -धीरे अपनी पोजीशन चेंज करने लगी ।
मैं थोड़ा आगे भाग कर ट्रेन में चढ़ गया।

    ( इधर रति इस सोच में परेशान है कि.......
          "आखिर वह बन्दा कौन था जो मुझे थपकी लगा के चला गया ।"
           "मैं कल से यात्रा कर रही  सब सही था पर जब मैं घर पहुचने वाली हूँ तो अब ये क्या हो रहा है । मैं तो यहाँ किसी को जानती भी नही ।"
           और वह जाते -जाते कुछ बोला भी था ...??
             क्या बोला था....!!  )

         मैं बहुत खुश था , और होगी भी क्यों ना खुशी ..!!
थोड़ी देर पहले जो मैं पूरी आशा छोड़ दिया था, फाइनली अब मैं उससे मिलने  जो जा रहा था।....
        
        I am tollty unmindful about my cloth, hair and body , all of them becomes dirty due to unfavorable condition , lack of time and struggle in my journey .

         
       मैं उसके सीट की ओर बढ़ रहा था । और वह थोड़ी डरी सहमी सी मेरी ओर देख रही थी, शायद यही सोच रही होगी कौन था वह.....??

               हल्का सा मुस्कान बिखेरे उसके होंठ,
               काली बड़ी चंचल मतवाली आंखे,
               खुले बाल एक बार फिर से  मेरे चैन-ए- करार उड़ा चुकी थी। क्योंकि आज मैं पहली बार उससे मिला था, उसे देखा था और वह पूरी पटाखा लग रही थी । मैं एकदम से डिप्रेस्ड हो गया था । मेरे पास उससे बात करने के लिए कोई शब्द नही थे।
     
           सहसा मैं उसकी सीट पर चुपचाप बैठ गया।

रति:- आप... आप यहाँ...??
            (उसने आश्चर्यता से मुझसे पूछा)
लकी:- हॉ .... क्यों मैं यहाँ नही हो सकता क्या??

रति:- ऐसा नही  है......

लकी:- आप कुछ भूल रही हैं...??
              (मैं उसकी बात काट बीच मे ही बोला)
रति:-  क्या मुझे याद नही आ रहा..? आप ही याद दिला दो!!
                (वह सन्देहपूर्ण लहजे में बोली)
लकी:-  मेरे चॉकलेट कहॉ हैं जो आप लायी थी..??

रति:- सॉरी यार...... चॉकलेट तो मैंने खा लिया है । मुझे लगा आप नही मिलोगे।
लकी:- तो.....मेरे पेट मे जो चूहे दौड़ रहे उनका क्या..??
              (मैं थोड़ा हतास होकर बोला)

(वह अपना बैग टटोलने लगी और कुछ snaks मेरे तरफ बढाते हुए बोली)
              
 रति:-लीजिये अपने चूहों को शांत करा लीजिये।

       हम हसते snaks के मजे लेते बात करते घर की ओर आने लगे।

                  
                
            

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