अविरल ❣️

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सुनो,वो पुकार रहा है ,
बह जायूँ बन धारा निर्मल,
कुछ कहने की आवश्यता नहीं होती,
जब भाव परिशुद्ध हो,
और प्रेम व्रिष्टि नेत्रो से बहे,
अविरल,अविरल।

जीवन वो नृत्य है जो यदि प्रेम  भाव से प्रदर्शित करो तो संसार भर को मग्न कर देता है और इसी नृत्य का ताल है वो नाम ,वही नाम जो इस संसार का केंद्र है,
जो हृदय रूपी घुंगरूयों को भी थिरकने के लिए बाध्य कर देता है।
जीवन मे हम सदैव भागते रहते,कभी लक्ष्य के प्राप्ति के लिए तो कभी धन अर्जित करने के लिए,कभी अपने औरअपने परिजनों के शौक ,सुख, सुविधा पूरी करने के लिए और इसमें कोई दोष नही है,किन्तु इस मायाजाल में रहकर आप उस परब्रह्म को ही त्याग देते है,भूल जाते है जिनके अनुकंपा के कारण आपने इस धरा पर जन्म लिया है।
जीवन का हर कर्म केवल हमे थकाता है,
वास्तविक सुख प्रतिष्ठित होने से नही अपितु उस सांवरे के चरण पद कमल में समर्पित  करने से ही प्राप्त हो सकता है।
भक्तियोग वो मार्ग है जो जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह से इस आत्मा रूपी विहग को मुक्त कर ,प्रेम और भक्ति के उन्मुक्त आकाश में उड़ान भरने को पथ प्रदर्शित करता है।यदि कभी अपने आप को थका हुआ समझो तो स्मरण रखना
"सत्य ये है कि कॄष्णप्रेम ही एक मात्र विश्राम है और ये जग कर्मयोग की धरा"
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जीवन वो नृत्य है जो यदि प्रेम  भाव से प्रदर्शित करो तो संसार भर को मग्न कर देता है और इसी नृत्य का ताल है वो नाम ,वही नाम जो इस संसार का केंद्र है,जो हृदय रूपी घुंगरूयों को भी थिरकने के लिए बाध्य कर देता है।जीवन मे हम सदैव भागते रहते,कभी लक्ष्य के...

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